पहले दाल और अब तेल के बाद मसालों की कीमतों में उछाल

पहले दाल और अब तेल के बाद मसालों की कीमतों में उछाल

पिछले दो वर्षों से विश्व के सभी देशों के नीति निर्धारकों ने महंगाई को  दर किनार कर कोरोना से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने में लगे हैं हालाँकि महंगाई अब वैश्विक समस्या बन चुकी है ,जिससे भारत भी अछूता नहीं रह गया है। 
भारत में मंगाई की मार झेलती जनता कराहने लगी है। महंगाई की मार अब हर थाली पर पड़ने लगी है दिल्ली के छोले भटूरे ,आलू पराठा महाराष्ट्र के मिसाल पाव तक सभी पर असर साफ़ दिख रहा है । शाकाहारी थालियों से लेकर माँसाहारी थालियां भी अब आम लोगों की पहुँच से बहार होने लगी है। हालांकि मौसमी सब्जियां कुछ राहत जरूर देती हैं।लेकिन खाद्य तेल ,मशाले ,डेयरी उत्पाद ,अंडा,मछली ,चिकेन जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थ  अब इतने महंगे हो गए हैं कि आम जानों के लिए यह महंगाई परेशानियों  का शबब बन गयी है। लाइव मिंट की टीम की ऒर से पूरे देश से जुटाए गए आंकड़ों से यह बात सामने आयी है। 
आंकड़ों से सामने आया कि देश ले कुछ हिस्सों  में प्रमुख खाद्य सामग्री की कीमतों में गत दो वर्षों में 30 %तक की वृद्धि हुयी है जबकि इस दरम्यान बड़ी संख्या में लोगों की आय में भारी कमी आयी है। बिहार में हल्दी की कीमत दो वर्षों में सबसे ज्यादा 59 %बढ़ी है। जिससे यहां के दिन के भोजन में शामिल चवल,दाल,सब्जी महंगे हो गए हैं। बीते दो वर्षों में मसाले 15 ,नमक 12 और रिफाईन आयल 12  प्रतिशत तक महंगे हो गएँ हैं 
खाद्य तेलों की बेतहाशा वृद्धि पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सरकार ने इसके आयात पर लगने वाले सेस पर कटौती करने पर विचार करने के संकेत दिए हैं। 
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अप्रैल में विश्व आर्थिक परिदृश्य में 2022 और 2023 में वैश्विक विकास दर 3. 6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है जबकि 2021 में वैश्विक विकास दर 6 .1 प्रतिशत रही है। इसके लिए रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे भीषण युद्ध को इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है।