स्पाइसजेट मुश्किलों में घिरी ,बीते कुछ वक्त में कंपनी और एविएशन सेक्टर में ऐसा बहुत कुछ हुआ है, जिससे स्पाइसजेट का बाजार प्रभावित हुआ है.
स्पाइसजेट मुश्किलों में घिरी ,बीते कुछ वक्त में कंपनी और एविएशन सेक्टर में ऐसा बहुत कुछ हुआ है, जिससे स्पाइसजेट का बाजार प्रभावित हुआ है.
कोरोना महामारी के चलते भारी नुकसान का सामना करने वाली एविएशन इंडस्ट्री में अब धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. एयरलाइन कंपनियां इस फेस्टिव सीजन में भारी डिमांड की उम्मीद कर रही हैं. हालांकि, स्पाइसजेट के लिए हालात बाकी कंपनियों जितने अच्छे नहीं हैं. वजह है, फंड की कमी, कर्ज और आधी फ्लाइट चलाने की मजबूरी. स्पाइसजेट के कई विमानों में उड़ान के दौरान आई गड़बड़ी की वजह से एविएशन रेगुलेटर DGCA ने जुलाई के एक आदेश में उसे केवल आधी फ्लाइट्स ऑपरेट करने को कहा था. बाद में एक हफ्ते की इस व्यवस्था को 29 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया गया. ऐसे में हाई डिमांड के सीजन में भी कंपनी को सीमित विमानों के साथ काम चलाना पड़ रहा है.
छुट्टी पर भेजे पायलट
कुछ पहले एक रिपोर्ट आई थी कि स्पाइसजेट की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई है कि कंपनी PF और TDS का पैसा भी जमा नहीं करा पा रही है. इतना ही नहीं उसे अपने कुछ पायलट्स को तीन महीने लीव विदआउट पे पर भेजना पड़ा है. स्पाइसजेट को इस स्थिति से निपटने के लिए कर्ज चाहिए. अब केंद्र सरकार के एक कदम से कंपनी के लिए कर्ज की राह आसान बना दिया है. दरअसल, सरकार ने कोरोना महामारी से प्रभावित विमानन उद्योग को नकदी संकट से उबारने में मदद करने के लिए इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ECLGS) में संशोधन किया है. मंत्रालय ने इस योजना के तहत कर्ज की सीमा 400 करोड़ से बढ़ाकर 1,500 करोड़ रुपए कर दी है.
ECLGS में बदलाव से स्पाइसजेट को करीब 1000 करोड़ रुपए का लोन मिल सकता है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इससे कंपनी की कई परेशानियों का अंत हो सकता है. उदाहरण के लिए, अपने खराब विमानों को दुरुस्त करा सकती है, जिन कंपनियों से विमान पट्टे पर लिए हैं, उन्हें भुगतान कर सकती है. इसके अलावा, नए बोइंग 737 मैक्स एयरक्राफ्ट भी अपने बेड़े में शामिल कर सकती है. बता दें कि स्पाइसजेट को पिछली कई तिमाहियों से लगातार घाटा हो रहा है. खबर ये भी है कि स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह कंपनी में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में हैं. उनकी स्पाइसजेट में कुल 60 फीसदी हिस्सेदारी है.
कॉम्पिटिशन काफी बढ़ा स्पाइसजेट लो-कॉस्ट एयरलाइन मानी जाती है. बीते कुछ वक्त में कंपनी और एविएशन सेक्टर में ऐसा बहुत कुछ हुआ है, जिससे स्पाइसजेट का बाजार प्रभावित हुआ है. सबसे पहली बात तो यही है कि इस क्षेत्र में कॉम्पिटिशन काफी बढ़ गया है. टाटा समूह द्वारा एयर इंडिया को टेकओवर करने के बाद से उसकी परफॉरमेंस लगातार सुधर रही है. यात्री फिर से एयर इंडिया में विश्वास जताने लगे हैं.
उर्वशी गुप्ता