बीएसईबी ने लगाया आरोप,भरना पड़ा इतने हजार का जुर्माना
नियुक्त परीक्षक द्वारा जान बूझकर मूल्यांकन कार्य में रुकवाट उत्पन्न करने के मामलें पर सुनवाई की जा रही हैं
पटना हाईकोर्ट ने इन्टरमीडिएट 2019 के वार्षिक (सैद्धांतिक) परीक्षा की अव्यहृत एवं बारकोडेड उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य के लिए नियुक्त परीक्षक द्वारा जान बूझकर मूल्यांकन कार्य में रुकवाट उत्पन्न करने के मामलें पर सुनवाई की जा रही हैं।जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने अमित कुमार व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दर्ज प्राथमिकी को ख़ारिज कर दिया।साथ ही कोर्ट ने बिना कारण कानून का दुरपयोग कर प्राथमिकी दर्ज किये जाने और शिक्षकों को अकारण परेशान किये जाने पर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को 25 हजार रूपए का जुर्माना लगाया।
नियुक्त परीक्षकों द्वारा मूल्यांकन में जानबूझ कर रुकावट उत्पन्न करने के उद्देश्य से मूल्यांकन केन्द्रों पर योगदान नहीं करने के कारण प्रखंड शिक्षा अधिकारी ने करीब 25 परीक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का एक पत्र हाजीपुर सदर थाना को दी।इस पत्र के आलोक में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू की।
आवेदक के वकील राजेश रंजन का कहना था कि जब शिक्षक मूल्यांकन करने से इंकार कर दिये,तो फिर कैसे मूल्यांकन कार्य में बाधा उत्पन्न किये।उनका कहना था कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति शिक्षकों के ऊपर दबाव बना कर काम करवाना चाहती हैं। समिति जानबूझकर कर प्राथमिकी दर्ज कराई, ताकि दूसरे शिक्षक प्राथमिकी के डर से मूल्यांकन काम से भागे नहीं।
वहीं सरकारी वकील अजय ने अर्जी का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि शिक्षको के एक ग्रुप ऐसे है, जो मूल्यांकन कार्य का विरोध करते हैं। उनका कहना था कि ऐसे शिक्षक नहीं चाहते हैं कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति समय पर छात्रों का रिजल्ट जारी करे।
मामले में राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता सुमन झा ने कोर्ट को बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से दी गई आवेदन पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है। उनका कहना था की गई शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई की है।