बिहार के सरकारी स्कूल में लड़किया, लड़को से आगे
छात्राओं की संख्या उम्र बढ़ने के साथ घटती गई है।
बिहार में एक ऐसा भी वक्त था जब बेटियाँ स्कूलों के दहलीज तक नहीं पहुंच पाती थी। लड़कियों को सिर्फ घरों के कामकाज में लगाया जाता था और अक्सर कम उम्र में ही उनकी शादी भी कर दी जाती थी। वहीं अगर अब के आंकड़ों को देखा जाए तो स्कूलों में लड़कों से ज्यादा संख्या लड़कियों की है। लड़कियां आज हर क्षेत्र में आगे है। वहीं अगर ग्रामीण इलाकों की गोवेर्मेंट स्कूलों की बात करें तो सरकारी स्कूलों में लड़कों से ज्यादा लड़कियां को पसंद आ रहे हैं। इन स्कूलों में बेटियां अधिक पढ़ाई कर रही हैं। जबकि बेटे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई कर रहे है। दरअसल, एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशनल ने दो अलग-अलग आयु वर्ग को लेकर रिपोर्ट दी हैं।
वहीं 14-16 साल की 89 फीसदी लड़कियां तो 86 फीसदी लड़के सरकारी स्कूल में हैं। हालांकि, 17-18 साल आयु वर्ग में लड़कियों से अधिक लड़के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। इस उम्र के 75% लड़के तो 71% लड़कियां सरकारी स्कूल में एनरॉल हैं। 17-18 साल की आयु के 11 फीसदी लड़के निजी स्कूल में पढ़ रहे, वहीं लड़कियां 7.5 फीसदी ही प्राइवेट स्कूलों में हैं।
रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों की 54 फीसदी बेटियां ऑनलाइन पढ़ाई का सहारा ले रही हैं। वहीं स्मार्ट फोन या कम्प्यूटर का प्रयोग पढ़ाई के लिए करने वाली छात्राओं की संख्या उम्र बढ़ने के साथ घटती गई है। 14-16 साल में 54 फीसदी लड़कियों ने ऑनलाइन पढ़ाई का सहारा लिया, वहीं 17-18 साल में यह घटकर 50.8 फीसदी पर आ गया, जबकि लड़कों में यह संख्या बढ़ी है। अध्ययन के अनुसार 14-16 साल में 71.8 फीसदी लड़कों ने ऑनलाइन पढ़ाई का सहारा लिया, वहीं 17-18 साल में भी यह आंकड़ा 72 फीसदी रहा।