ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट आई जानें भ्रष्टाचार में भारत की रैंकिंग क्या...
भारत में भ्रष्टाचार की स्थिति यथावत बनी हुई है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने इस बार भी 2020 के बराबर अंक हासिल किया है। देखते हैं क्या है भारत और अन्य देशों की रैंकिंग।
भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की 2021 की रिपोर्ट में भारत को 85 वें पायदान पर रखा गया है। भारत की रैंक में 1 अंक का सुधार हुआ है। पिछले साल उसे 86 वी रैंक मिली थी। हालांकि अंको में कोई सुधार नहीं है पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी उसे 40 अंक ही मिले हैं। हालांकि पिछले 6 साल की बात करें तो भारत 9 पायदान नीचे आया है। 2015 में उसकी रैंकिंग 38 नंबरों के साथ 76 थी। भारत ने अंकों में सुधार किया है लेकिन बेहतर प्रदर्शन के कारण कई देश उससे ऊपर चले गए हैं। इस रिपोर्ट में सबसे कम भ्रष्टाचार वाले देशों में टॉप पर डेनमार्क, फिनलैंड, न्यूजीलैंड नार्वे,और सिंगापुर है जबकि साउथ सूडान सीरिया सोमालिया वेनेजुएला और यमन निचले पायदान पर बने हुए हैं।पड़ोसी मुल्कों की बात करें तो भूटान सबसे अच्छी स्थिति में हैं। ये देश 68 अंकों के साथ 25वें नंबर पर है।
चीन ने अपनी स्थिति में काफी सुधार किया है। पिछले साल इसकी रैकिंग 78 थी, जो इस बार 66 आई है। हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान 16 नंबर नीचे पहुंचकर 140वें नंबर पर पहुंच गया है। यहां उसका साथ देने के लिए म्यांमार मौजूद है। इसके अलावा श्रीलंका 102, नेपाल 117 और बांग्लादेश 147वें नंबर पर है।तालिबान राज में अफगानिस्तान में भ्रष्टाचार थोड़ा बढ़ा है। 2020 में यह 19 अंकों के साथ 165वें नंबर पर था। इस साल 180 देशों की लिस्ट में 174वें नंबर पर है। उसका स्कोर 16 है। मालदीव भारत की बराबरी से 85वें नंबर पर है। यूरोपीय देशों में करप्शन और मानवाधिकारों के हालात बहुत बेहतर हैं।
यही वजह है कि इस रेटिंग में इन्हीं देशों का दबदबा कायम है।रुतबे और ताकत के बावजूद अमेरिका टॉप 5 देशों से बहुत दूर 27वें नंबर पर है और उसका स्कोर 67 रहा। यूक्रेन के मसले पर उससे भिड़ रहा रूस 136वें नंबर पर है। जबकि ब्रिटेन 78 अंक लेकर 11वें नंबर पर है।भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक सीपीआई अपने संस्करण में, 180 देशों और क्षेत्रों को सार्वजनिक क्षेत्रों के भ्रष्टाचार के उनके कथित स्तरों के आधार पर रैंक करता है। इसके लिए 13 विशेषज्ञ आकलन और उद्योग प्राधिकारियों के सर्वेक्षणों का इस्तेमाल करते हैं.