तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए यासीन मलिक करेगा गवाहों से जिरह, सुप्रीम कोर्ट से मिली मंजूरी
जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक तिहाड़ जेल में बंद है। उसके खिलाफ जम्मू कश्मीर की अदालत में एक मामले में सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उसे सुनवाई में शामिल होने की अनुमति दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने ‘जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट’ (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को दो मामलों में तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए गवाहों से जिरह करने की शुक्रवार को अनुमति दे दी। मलिक और अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ दो मुकदमे जम्मू-कश्मीर से दिल्ली स्थानांतरित करने के अनुरोध संबंधी सीबीआई की याचिका पर यह फैसला सुनाया गया। इनमें से एक मामला आठ दिसंबर 1989 को तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से जुड़ा हुआ है और दूसरा मामला 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में गोलीबारी में चार भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या से संबंधित है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि जम्मू सत्र न्यायालय वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली से अच्छी तरह सुसज्जित है, जिससे वर्चुअल सुनवाई संभव हो सकेगी। इस दौरान यासीन मलिक ने कहा कि वह गवाहों से जिरह के लिए वकील नहीं रखना चाहते। शीर्ष अदालत जम्मू ट्रायल कोर्ट के 20 सितंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे मलिक को निर्देश दिया गया था कि उन्हें राजनेता मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण के मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करने के लिए शारीरिक रूप से पेश किया जाए।
यासीन को एनआईए की विशेष अदालत ने आतंकी फंडिंग मामले में बीते साल 25 मई 2023 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यासीन को दो मामलों में उम्रकैद और 10 मामलों में 10 साल सजा सुनाई गई। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इसके अलावा उस पर 10 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया था। मलिक तिहाड़ जेल में बंद है।