पटना के Shitla Mandir के पास स्थित ‘Agam Kuan’ के रहस्य से पूरी दुनिया है हैरान, चमत्कारिक है कुएं का जल !
पटना के Shitla Mandir के पास स्थित ‘Agam Kuan’ के रहस्य से पूरी दुनिया है हैरान, चमत्कारिक है कुएं का जल !
बिहार की राजधानी पटना एक खूबसूरत ऐतिहासिक शहर है, जहां किसी न किसी वजह से टूरिस्ट पहुंचते रहते हैं. पहले इसे पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था. लेकिन अगर आपको शहर घूमने का मौका मिले तो, गुलजारबाग रेलवे स्टेशन के पास अवस्थित शितला मंदिर जाना नहीं भूलें. इस मंदिर के पास एक कुंआ है. जिसे विज्ञान भी आज तक ठीक तरह से नहीं समझ पाया है. इस कुएं को रहस्यमयी कुआं कहा जाता है और इसके बारे में कई रोचक कहानियां हैं.
अगमकुआं स्थित मां शीतला मंदिर खुद में कई चमत्कारों और रहस्यों को समेटे हुए है. इसका संबंध सम्राट अशोक के काल से है. इस मंदिर में साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है. यह कुआं बिहार के सबसे पुरानी आर्कियोलॉजिकल साइट्स में से एक है. इसका बड़ा ऐतिहासिक महत्व है.
अगर पुरानी कहानियों की मानें तो इसकी अशोक का यातना गृह भी कहा जाता है. हालांकि अब यहां काफी धार्मिक आस्थाएं जुड़ गई हैं और इसे चमत्कारी शक्तियों से युक्त भी माना जाता है.इस कुएं के बारे में यह भी मान्यता है कि चांद नाम के राजा ने इस कुएं में सुदर्शन नाम के एक जैन मॉन्क को फिंकवा दिया था. बाद में वह कमल पर बैठे तैरते पाए गए. अब इस कुएं को शादी या कई धार्मिक कामों के लिए शुभ माना जाता ह. हिंदू लोग मानते हैं कि इसमे कई चमत्कारिक शक्तियां हैं, धार्मिक जानकारों की मानें को कुएं का ऐतिहासिक पक्ष तो मजबूत है ही, धार्मिक दृष्टिकोण से भी कुएं का उतना ही महत्व है. वजह इस एतिहासिक कुएं के पास स्थित प्रसिद्ध शीतला देवी का मंदिर है. कहते हैं कि लोग शीतला माता की पूजा और चेचक जैसी बीमारियों को दूर करने के लिए कुएं के जल का इस्तेमाल करते हैं. मान्यता है की इस कुएं के जल के प्रयोग से चेचक जैसी बीमारी दूर हो जाती है.कहते हैं की इस कुएं के रहस्य को वैज्ञानिकों ने तीन बार जानने की कोशिश की.
लेकिन तीनों ही बार वैज्ञानिकों के हाथ कुछ में ठोस प्रमाण नहीं लग सका. जानकरी के अनुसार पहली बार सन 1932 में, दूसरी बार सन 1962 में और तीसरी बार सन 1995 में. इस कुएं के रहस्य को जानने की कोशिश की गई. लेकिन कुएं के रहस्य से आज तक पर्दा नहीं उठ सका है.वही कुएं की गहराई करीब 105 फिट है. जबकि कुएं का ब्यास 16 फिट का है. कुएं के ऊपरी आधे हिस्से की चुनाई ईंट से की गयी है. जबकि नीचे के लगभग 60 फिट का हिस्सा लकड़ी के छल्ले से पाटा गया है. कुएं की संरचना अद्भुत हैं. कहा जाता है कि बादशाह अकबर के शासनकाल में इस कुएं का जीर्णोद्धार किया गया था. वर्तमान समय में कुएं को संरक्षित रखने के लिए कुएं के ऊपर एक छतरीनुमा ढ़ांचा तैयार किया गया है.कुएं के बारे में यह भी बताया जाता है कि यहां का पानी कभी नहीं सूखता. इसके पीछे यह वजह बताई जाती है कि पश्चिम बंगाल के गंगा सागर से जुड़ा है.
एक कहानी के मुताबिक एक बार गंगा सागर में गिरी एक अंग्रेज की छड़ी इस कुएं में तैरती पाई गई थी. बताते हैं कि वह छड़ी आज भी कोलकाता म्यूजियम में रखी है कहानियों की मानें तो सम्राट अशोक ने अपने 99 भाइयों के सिर कलम करवाकर उनकी लाशें इसी कुएं में फिंकवा दिए थे. उसने ऐसा इसलिए किया था ताकि वह राजा बन सके.गौरतलब है कि भारत के इतिहास के सबसे स्वर्णिम पन्नों में लिपटा है बिहार. रामायण काल में इसी धरती पर जन्मी थीं देवी सीता. महाभारत युग में यहीं राजा जरासंध ने राज किया था. इसी धरती ने दुनिया को पहला सम्राट दिया. लिच्छवी राजाओं ने दुनिया को पहला लोकतांत्रिक गणराज्य दिया. ये भूमि है महावीर की, भगवान बुद्ध की, चाणक्य की, आर्यभट्ट की, कालीदास की. ये भूमि है आंदोलन की. ये भूमि है बिहार की.