बिहार के तीन वैज्ञानिकों और उनकी टीम की रिसर्च का दावा, जलकुंभी भस्म से हो सकता है प्रोस्टेट कैंसर का इलाज
भारतीय संस्कृति और आयुर्वेद में ग्रह और नक्षत्रों का बड़ा महत्व है। इनके भिन्न-भिन्न तरह के प्रभाव होते हैं। चंद्रमा की किरणें भी अलग-अलग नक्षत्रों में अलग-अलग रासायनिक प्रभाव छोड़ती हैं। बिहार के वैज्ञानिकों की ओर से नैनोसाइंस के जरिए ताजा अध्ययन इसे पुष्ट कर रहा है।हार के तीन वैज्ञानिकों और उनकी टीम के जलकुंभी भस्म पर किये गए हालिया अध्ययन में कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। यही नहीं जलकुंभी भस्म प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में प्रभावी साबित होगा। रिसर्च में यह बात सामने आई कि पुष्य नक्षत्र में चंद्रमा के प्रकाश में जलकुंभी भस्म का आकार सूक्ष्म से भी अतिसूक्ष्म 26 नैनोमीटर तक हो जाता है। वहीं रोहिणी नक्षत्र में इस जलकुंभी भस्म का आकार लगभग 55 नैनोमीटर हो जाता है। यानी चंद्रमा के किरणों का अलग-अलग नक्षत्र में जलकुंभी भस्म पर अलग-अलग प्रभाव होता है। इस अध्ययन में यह बात भी सामने आई कि इस भस्म का उष्म गुण इलेक्ट्रॉनिक्स मैटीरियल जैसा है और इनसे प्रकाश का उत्सर्जन भी होता है। पहली बार जलकुंभी भस्म में प्रकाश के तत्व की मौजूदगी का दावा किया गया है।