पाकिस्तान में नए साइबर क्राइम लॉ पर हंगामा
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार ने नया साइबर क्राइम कानून तैयार किया है। इसमें सोशल मीडिया पर 'फेक न्यूज' पोस्ट करने पर पांच साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। पहले ये सजा 3 साल तक दी जाती थी। कैबिनेट की मंजूरी के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा हस्ताक्षरित एक अध्यादेश के माध्यम से नए कानूनों को पारित किया गया।
नए अध्यादेश से इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम कानून 2016 (PECA) के प्रावधानों में बदलाव किए गए हैं। नए कानून को लेकर सरकार को विपक्ष, पत्रकारों और न्यायपालिका से भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
पाकिस्तान का नया साइबर क्राइम कानून
अध्यादेश के तहत किसी भी कंपनी, एसोसिएशन, संस्थान, संगठन, प्राधिकरण, या किसी अन्य को शामिल करने के लिए व्यक्ति की परिभाषा को विस्तृत किया गया है। इसके अलावा किसी व्यक्ति की पहचान पर हमला करने का दोषी पाए जाने पर अब तीन साल के बजाय पांच साल की सजा दी जाएगी। देश के चुनाव कानूनों में भी संशोधन किया गया था, जिससे संविधान या किसी अन्य कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को 'किसी भी क्षेत्र या निर्वाचन क्षेत्र' में सार्वजनिक सभाओं में जाने या संबोधित करने की अनुमति मिलती है।
मोहसिन बेग की गिरफ्तारी के बाद चर्चा शुरू हुई
यह अध्यादेश ऐसे समय पर जारी किया गया जब कुछ दिनों पहले ही संचार मंत्री मुराद सईद के खिलाफ 'अभद्र' टिप्पणियों के लिए मीडिया जगत की हस्ती मोहसिन बेग को गिरफ्तार किया गया था। कानून मंत्री बैरिस्टर फारुख ने आगाह किया था कि फेक न्यू में शामिल होने पर किसी को बख्शा नहीं जाएगा। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम (संशोधन) अध्यादेश 2022 लागू किया गया।
फेक न्यूज अब गैर जमानती अपराध
नए कानूनों में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सार्वजनिक मानहानि को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध बना दिया गया है। इस मामले के शीघ्र निपटारे के लिए एक नई धारा जोड़ी गई है। इसमें कहा गया, 'मुकदमे की सुनवाई शीघ्रता से की जाए लेकिन मामले पर संज्ञान लेने के बाद छह महीने से ज्यादा की देरी नहीं होनी चाहिए।' कराची में रविवार को कानून मंत्री फारुख नसीम ने कहा कि फर्जी खबरें फैलाने को संज्ञेय अपराध के तौर पर माना जाएगा।
क्या है PECA 2016 का अध्यादेश?
PECA 2016 के अध्यादेश के तहत, जिसे पाकिस्तान की प्रणाली के संबंध में साइबर अपराधों और अनधिकृत कृत्यों को रोकने के लिए अधिनियमित किया गया था। PTI सरकार ने देश के चुनाव कानून में संशोधन करने के लिए एक अध्यादेश का भी प्रस्ताव रखा। इसके तहत सार्वजनिक पद धारण करने वाले किसी भी व्यक्ति को किसी भी क्षेत्र या निर्वाचन क्षेत्र में बैठकें करने की अनुमति देने का प्रावधान रखा गया।
अदालत ने लगाई जमकर फटकार
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को संघीय जांच एजेंसी (FIA) को आतंकवाद विरोधी अधिनियम (ATA) और इलेक्ट्रानिक अपराध रोकथाम अधिनियम को गलत तरीके से लागू करने के लिए फटकार लगाई। न्यायाधीश मिनल्लाह ने कहा कि 'क्या आपको लगता है कि कानून का कोई शासन नहीं है?' साथ ही उन्होंने पूछा कि 'क्या इस देश में मार्शल ला लगा दिया गया है?' इस बीच, पाकिस्तान में विपक्षी दल इमरान खान सरकार को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बना रहे हैं।
पाकिस्तान के नए साइबर क्राइम कानून के सामने कानूनी चुनौतियां
- इस अध्यादेश को इस्लामाबाद और लाहौर उच्च न्यायालयों में विपक्षी दलों और पाकिस्तान फेडरल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स सहित कई हितधारकों द्वारा चुनौती दी गई है।
- इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने संघीय जांच एजेंसी (FIA) को कानून के तहत गिरफ्तारी करने से अस्थायी रूप से रोक दिया है।
- पूर्व प्रधान मंत्री अब्बासी ने कहा, "अध्यादेश को रद्द करने की आवश्यकता है, अन्यथा राजनीतिक विरोधियों और पत्रकारों के खिलाफ इसका दुरुपयोग जारी रहेगा।"
- एक्टिविस्ट अजीज को उम्मीद है कि न्यायपालिका अध्यादेश को रद्द कर देगी, या सीनेट, संसद का ऊपरी सदन इसे रद्द कर देगा। उन्होंने कहा, "न्यायपालिका और सांसदों पर सही काम करने की जिम्मेदारी है। अधिकार समूह और प्रेस स्वतंत्रता समूह इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।"
- इस्लामाबाद में कानूनी विशेषज्ञ ओसामा मलिक ने डी डब्ल्यू को बताया कि ऐसे कानून "आधुनिक लोकतंत्रों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं हैं।" उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल ने स्वीकार किया है कि नए संशोधनों के बाद कानून कठोर है और इसके आवेदन को विनियमित करना होगा।"