मनुष्य किसी तरह गर्मी में पानी का कर लेते हैं जुगाड़, पंछियों के लिए यह काम गया के रंजन करते है 

मनुष्य किसी तरह गर्मी में पानी का कर लेते हैं जुगाड़, पंछियों के लिए यह काम गया के रंजन करते है 

मनुष्य किसी तरह गर्मी में पानी का कर लेते हैं जुगाड़, पंछियों के लिए यह काम गया के रंजन करते है 

बिहार के गया ज़िले के रहने वाले एक युवक रंजन कुमार पंंछियों के प्रति काफी समर्पित है. उसका लक्ष्य पंछियों को संरक्षित करना भी है. इस भीषण गर्मी की बात करें, तो मनुष्य किसी तरह पानी का जुगाड़ कर लेते हैं, लेकिन पंछियों के लिए यह काम गया के रंजन करते है, गया के रंजन न सिर्फ पहाड़ों बल्कि मोहल्ले में भी पंछियों के लिए पानी की व्यवस्था करते है. जब जल स्रोत गर्मी के दिनों में ज्यादातर स्थान पर पशु पक्षियों के लिए खत्म हो जाते हैं, तो इसके बीच यह पंछियों के लिए पानी का जुगाड़ करते है. इतना ही नहीं खुद ही सैकड़ो फीट उंचे पहाड़ पर जाकर पंछियों के लिए पानी के साथ-साथ दाना की भी व्यवस्था करते है.

पंछियों के पानी की व्यवस्था के लिए प्रतिदिन सैकड़ो फीट ऊंची रामशिला पहाड़ पर चढ़ता है

गया के बागेश्वरी गुप्ता गली का रहने वाला रंजन कुमार पंछियों के लिए काफी समर्पित है. गर्मी के दिनों में जल की महता समझी जा सकती है. इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है और गया में काफी स्थानों पर प्राकृतिक जल स्रोत सूख चुके हैं. वही आम स्थान पर भी पानी की किल्लत है. हालांकि, पानी की किल्लत के बीच मनुष्य किसी प्रकार अपना जुगाड़ कर लेते हैं, लेकिन गया का रंजन कुमार पंछियों के लिए पानी के जुगाड़ में रोज़ लगे रहते है. रंजन सैकड़ो फीट ऊंची रामशिला पहाड़ी पर भी चढ़ते है और यहां पंछियों के लिए पानी और दाना की भी व्यवस्था करते है.

पिछले 8 सालों से खुला पिंजरा लग रहा

पिछले 8 सालों से यह युवक लगातार ऐसा कर रहे है. 2016 से इसकी शुरुआत इसने की थी. एक बार यूट्यूब पर देखा था, कि किस तरह पानी की कमी से पक्षियों की मुश्किलें बढ़ जाती है. इसके बाद उसने पंछियों के लिए कुछ करने की ठानी और वर्ष 2016 से इसकी शुरुआत की. तब उसने छोटे-छोटे घड़े में घरों के उपर में पानी रखना शुरू किया था, लेकिन धीरे-धीरे खुला पिंजरा बनाना शुरू कर दिया. अब यह खुद खुला पिंजरा खुद बनाते है. खुला पिंजरा बनाकर रामशिला पहाड़ के एरिया में पेड़ों पर टांगते है. वही रामशिला पहाड़ के अलावे कई मोहल्ले में भी इस तरह का काम वह कर रहे है. इतना ही नहीं, सीमेंट का सकोरा रामशिला की पहाड़ियों पर इनके द्वारा बनाया गया है. इस तरह खुला पिंंजङा और सकोरा लगाकर रंजन पंछियों को पानी और दाना देते है.