ओपीडी में आने वाले 50 प्रतिशत बच्चे कोल्ड डायरिया से ग्रस्त
बढ़ते ठंड का असर बच्चों पर दिख रहा है। कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम के मेडिसिन विभाग में अभी सबसे ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं। वहीं, शिशु रोग विभाग का आंकड़ा देखा जाए तो बच्चे सबसे अधिक कोल्ड डायरिया के शिकार होकर पहुंच रहे हैं। ओपीडी में रोजाना 70 से 80 मरीज आते हैं। इसमें लगभग 50 प्रतिशत कोल्ड डायरिया से ग्रस्त बच्चे होते हैं। इसमें पांच से छह गंभीर अवस्था में पहुंच रहे हैं, जिन्हें भर्ती करना पड़ रहा है। यह खबर अभिभावकों को सावधान करने वाला है।
सर्दियों के मौसम में कोल्ड डायरिया होने का खतरा बढ़ जाता है। बदलते मौसम का असर बच्चों पर होता है। रोटा वायरस की वजह से बच्चों में कोल्ड डायरिया होता है। यह पांच साल तक के बच्चों में होता है। ठंड के समय में इंसान के शरीर एकाएक तापमान के बदलाव को सहन नहीं कर पाता है। इस दौरान शरीर का रोग प्रतिरोधक क्षमता थोड़ा कमजोर हो जाता है। इससे वातावरण में मौजूद वायरल व बैक्टीरिया अटैक कर देता है। इसलिए ठंड में कोल्ड डायरिया के मरीज बढ़ जाते हैं।
कोल्ड डायरिया के लक्षण
जब बच्चों को कोल्ड डायरिया होता है तो उस समय पानी जैसे दस्त बार-बार होता है। उल्टी, पेट दर्द व ऐंठन होता है। इसके साथ, सर्दी-जुकाम, खांसी और बुखार भी होता है। यह बच्चों को काफी कमजोर बना देता है। जिससे दूसरी बीमारियां भी होने का खतरा बढ़ जाता है।
बच्चों को डिहाइड्रेशन से बचाएं
कोल्ड डायरिया से ग्रस्त बच्चों को डिहाइड्रेशन भी हो जाता है, जिससे उन्हें बचाने की जरूरत होती है। इस दौरान नियमित अंतराल पर बच्चों को पानी पिलाते रहना चाहिए। ठंड में गुनगुना पानी पीलाना ज्यादा फायदेमंद होता है। बच्चे के शरीर में पानी की कमी नहीं होना चाहिए। कोल्ड डायरिया से ग्रस्त बच्चे को ओआरएस व जिंक सहित अन्य दवाएं दी जाती है।