जाने अस्थमा में क्या खाना है हितकर और क्या करें परहेज
अस्थमा श्वसन तंत्र से जुडी एक बीमारी है। जिसकी वजह से रोगी को साँस लेने में कठिनाई होती है। इस बीमारी के कारण फेफड़ों के ब्रोन्कियल ट्यूब(वायुमार्ग) में सूजन आ जाता है। और श्वसन मार्ग सिकुड़ने लगता है। वायुमार्ग के आस पास की मांसपेशियों में कसाव आने लगता है। अस्थमा के रोगियों को चाहिए कि वे अपना इन्हेलर हमेशा अपने पास रखें। अस्थमा के रोगियों कि तादाद भारत ही नहीं पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। आंकड़ों कि माने तो आने वाले तीस सालों में अस्थमा रोगियों की तादाद तीन गुना तक बढ़ सकती है।
जब भी कोई किसी बीमारी से ग्रसित होता है तो उसका खान पान भी उसी अनुसार बदल जाता है। खासकर अस्थमा जैसी बीमारी में आपको अपने खान पान को लेकर तो ज्यादा सचेत रहना चाहिए। क्योंकि कई खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा देते हैं। वहीँ कुछ ऐसे भी खाद्य पदार्थ हैं जो न सिर्फ लक्षणों को कम करते हैं। बल्कि आपको और भी कई स्वास्थ्य लाभ देते हैं। वैसे तो सर्दियों का मौसम अस्थमा के रोगियों के लिए काफी कष्टकर होता है। किन्तु इन्हे हर मौसम में अपने स्वास्थ्य का एवं अपने खान पान का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए आपको क्या खाना स्वास्थयकर है, आइये यहाँ जानते हैं:
शहद का उपयोग करें
मीठा मीठा शहद हर किसी को पसंद होता है। इसके नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। शहद का सेवन करने से अस्थमा मरीजों को लाभ मिलता है। शहद में एंटी बैक्टीरियल एवं एंटी सेप्टिक गुण होता है। पुराने ज़माने से शहद का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता रहा है। विश्व की लगभग सभी पुरानी सभ्यताएं इसका प्रमाण रही हैं।
शहद का दालचीनी के साथ अथवा अदरक या सोंठ के साथ सेवन करने से खांसी एवं कफ की शिकायत दूर होती है और मरीज को आराम मिलता है। शहद में एकल शर्करा फ्रक्टोज़ एवं ग्लूकोज़ पाया जाता है जिसके कारण यह त्वरित बलवर्धक के तौर पर भी प्रयोग में लाया जाता है। शहद में लौह तत्व पाया जाता है। जिस कारण से यह आपके शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा को बढ़ा देता है।
इन जड़ी बूटियों को अपनाएं
अस्थमा से बचाव के लिए आपको कुछ विशेष तरह की जड़ी बूटियां जो अक्सर हमारे किचेन में या फिर किचेन गार्डन में मिल जाया करती हैं , का सेवन करना चाहिए। जैसे तुलसी के पत्ते और काली मिर्च की आप चाय बनाकर पी सकते हैं। इसी तरह आप चाहें तो इस चाय में लौंग और इलायची भी डाल कर पी सकते हैं। क्या आप भूल गए हैं जब सर्दी जुकाम होने पर मम्मी गरम गरम दूध में हल्दी डाल कर पिलाती थी? आप चाहें तो इन हर्ब्स को अपनी सब्जी में भी डाल कर उपयोग में ला सकते हैं। ये सभी औषधियां हमारे श्वसन तंत्र को मजबूत बनाती हैं। साथ ही हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी इनके सेवन से मजबूत होती है। और हम बार बार बीमार नहीं पड़ते हैं।
अलग अलग तरह के दालों को शामिल करें अपने आहार में
भारतीय व्यंजनों में दाल को भोजन का एक अभिन्न अंग माना जाता है। और माना भी क्यों न जाये जब दाल में इतनी सारी खूबियां हों। दाल की तासीर गर्म मानी गयी है। जिस कारण से यह अस्थमा के रोगियों के लिए काफी लाभप्रद है। इससे श्वसन तंत्र के संक्रमण का खतरा कम होता है। वैसे यदि आप मिक्स दाल खाएं तो ज्यादा हितकर है। मसलन मूंग, उड़द और मंसूर की दाल खाना काफी लाभदायक है। इसी तरह चने और अरहर की दाल भी मिला कर खाना फायदेमंद हो सकता है। दालें प्रोटीन से समृद्ध होती हैं। अतः ये शरीर के विकास के हेतु अत्यंत आवश्यक होती हैं। साथ ही ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी सुढृढ़ बनाती हैं।
अपने आहार में विटामिन सी को शामिल करें
सभी तरह के विटामिन हमारे शरीर के लिये आवश्यक होते हैं। इनमे से विटामिन सी हमारे शरीर के लिए नितांत आवश्यक है। इसे इम्यून बूस्टर के रूप में जाना जाता है। क्योंकि यह हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। इसके अलावा यह जख्म को जल्दी ठीक करने , अतिरिक्त आयरन को अवशोषित करने एवं हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए यह अत्यंत लाभदायक होता है। इसलिए हमें विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थो को अपने आहार में अवश्य शामिल करना चाहिए। आंवला, नींबू, मोसम्बी, संतरा, अमरुद, पालक इत्यादि में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
विटामिन सी श्वसन तंत्र से जुड़े संक्रमण से बचने में काफी मदगार होता है। जिसके कारण अस्थमा एवं श्वसन सम्बन्धी समस्याओं से ग्रसित लोगों को विटामिन सी का सेवन करने की सलाह दी जाती है। विटामिन सी युक्त आहार का नियमित सेवन करने से अस्थमा के दौरे आना काफी कम हो जाता है। साथ ही विटामिन सी में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स फ्री रेडिकल डैमेज से भी बचाते हैं।
इनसे करें परहेज
- अस्थमा रोगियों को खट्टे फलों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इसी प्रकार सभी ठंडे एवं खट्टे खड़ी पदार्थों का त्याग करना चाहिए। क्योंकि ये सभी विरुद्ध आहार हैं। जो अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं।
- कुछ लोगो को विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों से एलर्जी रहती है। अतएव इनके सेवन से बचें।
- दही , पनीर, चावल, तैलीय एवं गरिष्ठ भोजन का कम से कम सेवन करें।
- बाजार में मिलने वाले डिब्बाबंद प्रोसेस्ड फ़ूड एवं जंक फ़ूड का सेवन न करें।
- धूम्रपान एवं शराब का सेवन न करें।
इन बातों का भी रखें ख्याल
- अपना इन्हेलर सदैव अपने साथ रखें ताकि इमेर्जेन्सी में आप इसे तुरंत लाभ उठा सकें।
- भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें क्योंकि इन्ही स्थानों पर संक्रमण के फैलने का खतरा अधिक रहता है।
- प्रदुषण से खुद को बचाएं। जब भी घर से बाहर निकलें मास्क जरूर पहनें।
- अपनी दिनचर्या में योग एवं व्यायाम को अवश्य शामिल करें। किन्तु अधिक एवं कठोर व्यायाम करने से बचें।
- यदि लक्षण पांच से अधिक दिनों तक बने हुए हैं तो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
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