भाजपा जदयू के बीच तकरार, क्या टूट जाएगा गठबंधन??
सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से करने के मामले को लेकर एनडीए में थमा घमासान थमता नजर नहीं आ रहा है। बिहार में सत्ता के साझेदार जदयू भाजपा के बीच इस मुद्दे को लेकर शुरू हुई बयानबाजी अब तू तू मैं मैं से होते हुए कड़ी तकरार तक पहुंच गई है। इतना ही नहीं सम्राट अशोक के बहाने एक दूसरे पर वार करने में जुटे भाजपा जदयू के नेता अब अन्य मुद्दों यहां तक कि शराबबंदी को लेकर भी बयानबाजी पर उतर आए हैं। दोनों दल के नेता एक दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं और जमकर वार कर रहे हैं। गौरतलब है कि पूर्व आईएएस अधिकारी दया प्रकाश सिन्हा ने कथित रूप से अपने नाटक में जब सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से की तो बवाल मच गया जदयू के कई नेताओं ने इस मामले पर को लेकर भाजपा पर वार किया यह कहा गया कि दया प्रकाश सिन्हा भाजपा से जुड़े हुए हैं। मामले को तूल पकड़ता देख कर भाजपा ने जहां मरहम लगाने की कोशिश शुरू की, वही सम्राट अशोक राष्ट्रीय गौरव के लेखक दया प्रकाश सिन्हा ने भी सफाई देते हुए कहा की उनके नाटक में औरंगजेब का कहीं जिक्र ही नहीं है। हालांकि इसके बाद भी तकरार नहीं थमा।जदयू नेताओं के कड़े विरोध के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने गुरुवार को पटना के कोतवाली थाने में दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। जायसवाल ने पटना के कोतवाली थाने में साहित्यकार के खिलाफ एक खास समुदाय की भावना आहत करने का आरोप लगाया। इसके पूर्व जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और बिहार के मंत्री सम्राट चौधरी समेत कई नेताओं ने सम्राट अशोक की तुलना और औरंगजेब से करने के मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और लेखक को भाजपा से जुड़ा हुआ बता कर इशारों ही इशारों में भाजपा पर पर तंज भी कसा। नाटक के लेखक की सफाई और संजय जयसवाल की प्राथमिकी के बावजूद भाजपा जदयू के बीच तकरार कम नहीं हुई दोनों दलों के नेताओं के बीच तू तू मैं मैं जारी रही। इस मामले को लेकर वार प्रतिवार के बीच भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने एक ट्वीट कर आग में घी डाल दिया। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा की क्षेत्रीय दलों ने भारत के समाज राजनीति राष्ट्र की अस्मिता और गौरव को जितनी ठेस पहुंचाई है उतना किसी ने नहीं पहुंचाया है। क्षेत्रीय दल अमूमन या तो परिवार की पार्टियां हैं या फिर निजी पॉकेट की दुकान है। हालांकि बाद में उन्होंने सफाई दी कि ये बातें उन्होंने किसी खास राजनीतिक दल या उसके नेता के संदर्भ में नहीं कही हैं,लेकिन उनकी सफाई से भला क्या होने वाला था। क्षेत्रीय दलों में इस बात को लेकर तकरार हो होनी थी,और हुई भी। निखिल आनंद के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए जदयू प्रवक्ता निखिल मंडल ने कहा कि कोई नेता क्षेत्रीय दल को छोड़ राष्ट्रीय दल में चला जाता है तो वह खुद को भी राष्ट्रीय नेता मानने लगता है। जबकि नेता दल के आकार से नहीं बल्कि व्यक्तित्व से बनता है। इधर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय संजय जयसवाल के बयान पर भी बवाल मचा हुआ है जदयू के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक झा ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल से सवाल पूछते हुए कहा कि अपने गिरेबान में झांक कर देखें कि बीते 1 वर्ष में आपने एनडीए गठबंधन के खिलाफ कितने बयान दिये हैं। यदि स्मरण ना हो तो सभी बयानों का संकलन करके आपको भेजा जा सकता है।जहरीली शराब पीने से आपके लोकसभा क्षेत्र में जब कुछ लोगों की मृत्यु हुई थी आप संवेदना व्यक्त करने और सांत्वना में पैसे बांटने गए थे। एनडीए सरकार की नीति के हिसाब से आपका यह आचरण सही था या गलत?आपने जदयू प्रवक्ता से जदयू पार्टी को जोड़ने की बात कही है शराबबंदी की नीति के खिलाफ सरकार के खिलाफ आपने जो भी बातें कहीं हैं वह पार्टी का बयान है कि नहीं? जवाब में अपने पोस्ट में संजय जायसवाल ने कहा कि मेरे लोकसभा क्षेत्र में जहरीली शराब से हुई मृत्यु के बाद मेरे वहां जाने पर अभिषेक जवाब मांग रहे हैं यह सवाल जदयू द्वारा है क्योंकि प्रवक्ता दल की बातें रखता है, व्यक्तिगत नहीं, उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि मैं जहरीली शराब से मौत पर परिजनों से मिलने गया था। अगर भविष्य में भी मेरे क्षेत्र में इस तरह की दुर्घटना हुई तो मैं जाऊंगा और आर्थिक मदद करूंगा। गुनहगार मरने वाले थे ना कि उनके परिवार जन।अगर कोई जहरीली शराब से मरता है तो उसने निश्चित तौर पर अपराध किया है पर इससे प्रशासनिक विफलता के दाग को बचाया नहीं जा सकता। जब मैं इस शासन के घटक दल का अध्यक्ष हूं तो यह मेरी भी विफलता है।उन्होंने अभिषेक झा को याद दिलाया कि मैंने मीडिया में कहा था कि शराबबंदी कानून की समीक्षा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं शराबबंदी का 100% समर्थक हूं। पर अपराध जिस श्रेणी का हो सजा भी उसी श्रेणी की हो। इधर संजय जयसवाल ने अपना जवाब दिया उधर बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा पर निशाना साध लिया। उन्होंने कहा कि बिहार के कुछ नेता भस्मासुर की प्रवृत्ति के हैं। उनका दर्द सम्राट अशोक पर नहीं है। ये कहीं पे निगाहें और कहीं पे निशाना वाली बात है। उन्होंने कहा कि बहुत लोगों को अलग-अलग किस्म की बेचैनी है। उधर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी ने एनडीए के सभी घटक दलों से अपील की है कि दोनों तरफ से इस तरह की बयानबाजी बंद होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब लेखक ने इस मामले में अपनी सफाई दे दी है तो मामले का पटाक्षेप हो जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि लेखक 2010 से किसी भी राजनीतिक दल में नहीं है, ऐसे में दोनों दलों के बीच वाद-विवाद नहीं होना चाहिए। सुशील मोदी की इस अपील का क्या असर होता है यह तो देखने वाली बात होगी।फिलहाल दोनों दलों के बीच घमासान थमता नजर नहीं आ रहा है। यह तकरार आगे कौन सा रूप लेगी यह कहना भी अभी मुश्किल है।