लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूलों के बंद रहने के बावजूद विधार्थियों से स्कूल प्रबंधन द्वारा छात्र छात्राओं से फ़ीस वसूली को लेकर विवाद

लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूलों के बंद रहने के बावजूद विधार्थियों से स्कूल प्रबंधन द्वारा छात्र छात्राओं से फ़ीस वसूली को लेकर विवाद

लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूलों के बंद रहने के बावजूद विधार्थियों से स्कूल प्रबंधन द्वारा छात्र छात्राओं से फ़ीस वसूली को लेकर विवाद उठ खड़ा हो गया हैं जिससे अभिभावक और निजी विधालय के प्रबंधन को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं| इस मामले को लेकर बिहार विधानसभा में शून्यकाल के दौरान बेगूसराय के विधायक कुंदन कुमार ने यह सवाल उठाया कि जब निजी विधालयों में पढाई हुई ही नहीं हैं तो फ़ीस क्यू ले रहे | कोरोना काल में बिहार के सभी सरकारी तथा गैर सरकारी विधालय बंद थे | शून्य काल में उठाये गए इस मामले पर संज्ञान लेते हुए बिहार विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पूरे बिहार के निजी स्कूलों का यही हाल है| उन्होंने ने कहा कि सरकार इस मामले मे संज्ञान ले कि लॉकडाउन में जब विधालय बंद थे तो फिर फ़ीस क्यूँ ली जा रही है|
दोनों पक्षों कि माने तो दोनों अपनी जगह सही है | निजी विधालयों के प्रबंधकों द्वारा स्कूल बंदी के दौरान अपने शिक्षकों को उनका वेतन देना उनकी मजबूरी हैं| बिना वेतन के शिक्षक भुखमरी के शिकार हो जायेंगे| ऐसे में उन अभिभावकों द्वारा फ़ीस नहीं देना निजी विधालय के प्रबंधक के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती हैं| निजी विधालयों के प्रबंधक द्वारा सरकार से मदद कि गुहार लगाई गई हैं|