वर्क फ्रॉम होम होने जा रहा है परमानेंट,
कोविड 19 के कारण जब देश भर में लॉकडाउन लगा तो बड़ी आईटी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम यानि घर से ही काम करने की छूट दी ताकि संक्रमण के प्रभाव से वे बच सके और अपने परिजनों के साथ सुरक्षित रहकर समय बिता सके। शुरूआती दिनों में कर्मचारी भी इस नई व्यवस्था से काफी खुश हुए। वर्क फ्रॉम होम के दौरान उन्हें अपने स्वजनों के बीच रहने का मौका मिला।
साथ ही कंपनी का मुनाफा और प्रदर्शन भी बेहतर हुआ। लेकिन अर्थव्यवस्था शुरू होने के बाद कई कंपनियों ने अब भी वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था अपने कर्मचारियों को दे रखी है। ऐसे में कंपनियों को न सिर्फ ऑफिस मेंटेनेंस, कैब, बिजली का खर्च बच रहा है बल्कि उनसे अधिक घंटे भी काम लिया जा रहा है। अब केंद्र सरकार वर्क फ्रॉम को लेकर नियमावली बनाने की सोच रही है।
एक एजेंसी ने दुनिया के 25 देशों में वर्क फ्रॉम होम कर रहे कर्मचारियों के बीच एक सर्वे किया। जिसकी रिपोर्ट चौंकाने वाली है। कर्मचारी चाहते हैं कि वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था खत्म हो और वे ऑफिस आकर काम करें ताकि उन्हें दो दिन का साप्ताहिक अवकाश मिल सके।
कर्मचारियों का कहना है कि वर्क फ्रॉम होम होने के कारण उन पर काम का अतिरिक्त दबाव तो ही है, काम के घंटे भी निर्धारित नहीं है। वे अब पहले की अपेक्षा ज्यादा घंटे काम कर रहे हैं। उन्हें वर्क फ्रॉम होम के दौरान सप्ताह में कम से एक दिन का अवकाश मिलना चाहिए ताकि वे मानसिक रूप से आराम कर सके।
एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार अब कर्मचारी मांग कर रहे हैं कि केंद्र सरकार वर्क फ्रॉम होम के लिए नियमावली तय करे। कर्मचारियों के मौलिक व जीवन में होने वाले स्थायी बदलाव की ओर ध्यान दें। क्योंकि नई व्यवस्था से कंपनियां तो खुश है लेकिन कर्मचारी का जीवन प्रभावित हो रहा है।
साथ ही धीरे-धीरे कंपनी की उत्पादकता भी गिरती जा रही है। ऐसे में इसका स्थायी समाधान होना बेहद जरूरी है। छोटी कंपनियों में पुरुष के साथ-साथ महिला कर्मचारियों पर भी काम का अधिक दबाव आ गया है। वे अपने बच्चों का सहीं तरीके से ख्याल नहीं रख पा रहे हैं। वर्क फ्रॉम होम के कारण सभी कर्मचारियों की मानसिक परेशानी काफी बढ़ गई है।
ऐसे में कर्मचारियों के अधिकारियों की रक्षा होनी चाहिए। साथ ही कर्मचारियों को चाइल्ड केयर प्रावधान की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि व अपने बच्चों के साथ भी समय बिता सके। साथ ही कर्मचारियों के लिए नियम बनाकर उन्हें इसके लिए प्रशिक्षित करने की जरूरत है। यदि वे गलत व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो उन्हें सुरक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिए ताकि कंपनियां ऐसे कर्मचारियों के हितों को प्रभावित नहीं कर सके।