चलिए शपथ लें, भारत को खेलों से प्यार करने वाले देश से, खेलने वाले देश में बदलना है: सचिन तेंडुलकर

चलिए शपथ लें, भारत को खेलों से प्यार करने वाले देश से, खेलने वाले देश में बदलना है: सचिन तेंडुलकर

दुनियाभर में रहने वाले भारतीयों, आज सबसे महत्त्वपूर्ण दिन है। हम अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। यह सही समय है आजादी के बारे में सोचने का। और यह सोचने का कि इसके हमारे लिए क्या मायने हैं। बीते दो वर्षों में मानव अस्तित्व का आधारभूत ताना-बाना प्रभावित हुआ है। कोविड-19 ने हम सभी को अपने घरों में कैद कर दिया है, हम सभी को इस बात की अनुभूति हुई है कि कैसे हम छोटी-छोटी बातों- आजादी से घूमना और खुलकर सांस लेना- को महत्ता नहीं देते थे।शायद, इसी कारण से जब पिछले साल प्रफेशनल खेल शुरू हुआ या इस साल आखिरकार तोक्यो में ओलिंपिक हुआ, हम सभी को एक स्वतंत्रता की अनुभूति हुई। भले ही टीवी पर ही सही लेकिन हमें यह देखकर खुशी हुई कि लोग बाहर निकलकर, खुलकर अपनी भावनाओं का इजहार कर रहे हैं।यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मानव स्वभाव ही ऐसा है कि वह कुछ खोने के बाद ही उसकी कीमत का अहसास करता है। हममें से ज्यादातर लोगों ने अपने स्वास्थ्य को कभी गंभीरता से नहीं लिया। भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में शामिल है लेकिन सबसे फिट देशों में नहीं। इससे हमारे देश में स्पोर्टिंग कल्चर का भी पता चलता है। एक ओर जहां यह देखकर खुशी हो रही थी कि लोग जल्दी उठकर तोक्यो ओलिंपिक में भारत की हौसलाअफजाई कर रहे थे, लेकिन जिसे देखकर सबसे ज्यादा खुशी होगी वह यह कि लोग इससे प्रेरणा लेकर खेलना शुरू कर दें। हम खेलों को प्यार करने वाला देश हैं, लेकिन हमें उसे खेलने वाला देश में तब्दील करने की जरूरत है।