फिल्म चयन की पारदर्शिता पर उठे सवाल, सरकार संस्था की मान्यता पर करें पुनर्विचार

फिल्म चयन की पारदर्शिता पर उठे सवाल, सरकार संस्था की मान्यता पर करें पुनर्विचार

फिल्मकारों और फिल्मों से जुड़ी एक संस्था है जिसका नाम है फिल्म फेडरेशन आफ इंडिया (एफएफआई)। अन्य कामों के अलावा ये संस्था हमारे देश की उस फिल्म का चयन भी करती है जो आस्कर अवार्ड के लिए भेजी जाती है। आस्कर के लिए भेजी जानी वाली फिल्मों के चयन को लेकर बहुधा विवाद होते रहते हैं। इस वर्ष भी हुआ। इस वर्ष फिल्म फेडरेशन ने तमिल फिल्म ‘कुझंगल’ का चयन किया और हिंदी फिल्म ‘सरदार उधम’ को नहीं भेजा गया। तर्क ये दिया गया कि फिल्म सरदार उधम बहुत लंबी है और इसमें अंग्रेजों के प्रति घृणा का भाव दिखाया गया है।वैश्वीकरण के इस दौर में घृणा का ये भाव अपेक्षित नहीं है। किसी फिल्म को आस्कर में नहीं भेजने के ये कारण समझ से परे है। स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म शिंडलर्स लिस्ट जिसने आस्कर में कई पुरस्कार जीते थे वो तीन घंटे से अधिक अवधि की फिल्म है। इस फिल्म की लंबाई पर कभी आस्कर की जूरी ने सवाल नहीं उठाया। इस फिल्म को लेकर कभी प्रश्न नहीं उठा कि इसमें नाजियों का चित्रण आपत्तिजनक है। इसके अलावा फिल्म गान विद द विंड की लंबाई भी तीन घंटे अट्ठावन मिनट थी। फिल्म मेरा नाम जोकर की लंबाई के बारे में सबको ज्ञात ही है।