विद्यार्थी अपने परीक्षाफल से असंतुष्ट नजर आ रहे
कोरोना महामारी की वजह से बीते दो साल से शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है। 12वींऔर 10वीं के परीक्षा परिणाम 30 जुलाई और 3 अगस्त को जारी किए गए। इस साल की मार्किंग स्कीम की बात करें तो 10वीं के लिए नौवीं क्लास का फाइनल रिजल्ट और 10वीं की प्री-बोर्ड परीक्षा को आधार बनाया गया, जबकि 12वीं के रिजल्ट के लिए 10वीं का 30%, 11वीं का 30% एवं 12वीं के प्री-बोर्ड के 40% नंबरों को जोड़ा गया।
इस बार पासिंग प्रतिशत काफी ज्यादा है, साथ ही इंटरनल मार्किंग की वजह से कई छात्रों के रिजल्ट में बड़ा उलटफेर भी देखने को मिला है। परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद विद्यार्थी अपने परीक्षाफल से असंतुष्ट नजर आ रहे है। बिहार, झारखंड सहित अन्य राज्यों में छात्र-छात्राएं अपने अभिवावकों के साथ पहुंचकर स्कूल में हंगामा भी किया।
पटना के निजी स्कूल के 12वीं के एक स्टूडेंट ने बताया कि उसने आईआईटी मेन्स में 95 प्रतिशत हासिल किया, वही बोर्ड में उसे बस 53 प्रतिशत आएं हैं, जो कहीं से भी उचित नहीं है। छात्र ने कहा कि अगर इस बार उसका एडवांस नहीं निकला, तो अगले साल बोर्ड में कम अंको की वजह से वह चूक जाएगा। वहीं स्कूल प्रशासन की बात करे तो उनका कहना है जो स्टूडेंट्स 11वीं के परीक्षा में बैठे नहीं थे, उन्हें इसका खासा फर्क पड़ा है।
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को खूब उछाला गया। सोशल मीडिया के हवाले से बताया गया कि 12वीं के छात्रों को खूब नंबर मिले, जबकि 10वीं के छात्रों को नंबर देने में कटौती की गई। इस संबंध में सीबीएसई की आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in पर नोटिफिकेशन जारी किया है और छात्र यहां अपनी परेशानी का हल ढूंढ सकते है।