कृति सैनन अपने एक पुराने विवादित बयान से फिर से लोगो के निशाने पर, फिर से आदिपुरुष की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही। ..
कृति सैनन अपने एक पुराने विवादित बयान से फिर से लोगो के निशाने पर,
फिर से आदिपुरुष की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही। ..
आदिपुरुष के टीजर पर तो धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप लग ही रहे हैं. पोस्टर पर भी नकल के आरोप लगे हैं,मामले में बॉलीवुड एक्टरों के स्टैंड को लेकर सोशल मीडिया में कई बार बायकॉट देखने को मिला है. जेएनयू पर सरकार के विरुद्ध जाने के मामले में दीपिका पादुकोण, तापसी पन्नू से लेकर स्वरा भास्कर की फिल्मों का बायकॉट सोशल ने किया है. कृति का ट्वीट आदिपुरुष के निर्माताओं के लिए नया सिरदर्द बन सकता है.
आदिपुरुष को लेकर पहले ही अलग-अलग कारणों से विरोध हो रहा है और निर्माता इसके पक्ष में माहौल बनाने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं. मगर अभी तक बात बनती नजर नहीं आ रही. टीजर रिलीज के बाद राजनेताओं से लेकर अयोध्या स्थित राम मंदिर के प्रमुख पुजारी सत्येंद्र दास तक के बयान आए हैं, जिनमें उन्होंने राम-सीता और हनुमान समेत रावण को गलत ढंग से चित्रित करने पर विरोध जताया है. दास ने आदिपुरुष पर बैन लगाने की मांग तक की है. 500 करोड़ रुपये के बजट वाली यह फिल्म हिंदी के साथ तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम में अगले साल 12 जनवरी को रिलीज होगी.
सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं. लेकिन अब एक नया मामला सोशल मीडिया में धीरे-धीरे तूल पकड़ रहा है. यहां फिल्म में सीता का रोल निभा रहीं अभिनेत्री कृति का एक पुराना ट्वीट सामने आ गया है, जो जेएनयू में हुई हिंसा से जुड़ा है. इस ट्वीट के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर फिल्म के बायकॉट की मांग जोर पकड़ने लगी है.
जनवरी 2020 में कृति द्वारा किए गए इस ट्वीट में जेएनयू में प्रोफेसरों और छात्रों पर हमले की निंदा की गई है. कृति ने ट्वीट में लिखा कि जेएनयू में जो हुआ वह दिल तोड़ने वाला है. भारत में जो हो रहा है, वह डरावना है. छात्रों और अध्यापकों को भीड़ के द्वारा पीटा और डराया जा रहा है. लगातार आरोपों का खेल चल रहा है. राजनीतिक एजेंडे के लिए कितना नीचे गिर रहे हैं. हिंसा कभी कोई समाधान नहीं है. हम कैसे इतने अमानवीय हो सकते हैंॽ
इस ट्वीट और वीडियो अंशों के सामने आने के बाद सोशल मीडिया में कृति और फिल्म के खिलाफ नाराजगी देखी जा सकती है. लोग कृति से सवाल कर हैं कि अगर वह जेएनयू में भारत के विरुद्ध नारेबाजी करने वालों को ईमानदार और सरकार के कदम को राजनीति के एजेंडे की तरह देखती हैं तो कैसे उन्हें फिल्म में सीता के रूप में स्वीकार किया जा सकता है. कुछ ने इस मामले को आदिपुरुष को जोड़ते हुए कहा है कि कृति का फिल्मों का चयन कितना खराब है, जिसमें किरदारों के कॉस्ट्यूम और लुक इस्लामिक कर दिए गए हैं.
उर्वशी गुप्ता