केंद्रीय सूचना और प्रसारण सचिव का कहना है कि फिल्म टिकट के दाम अधिक हैं, इन्हें नियंत्रित करने की जरूरत है
केंद्रीय सूचना और प्रसारण सचिव का कहना है कि फिल्म टिकट के दाम अधिक हैं,
इन्हें नियंत्रित करने की जरूरत है
फिल्मों के महंगे टिकट और दूसरी - वहां मिलने वाला कई गुना महंगा फूड. दूसरे का तो नहीं पता, लेकिन पहले मुद्दे को लेकर सरकार भी चिंतित नज़र आ रही है. केंद्रीय सूचना और प्रसारण सचिव का कहना है कि फिल्मों के टिकट के दाम ज्यादा हैं और इन्हें नियंत्रित करने की जरूरत है. अब जब सरकार चिंता जता रही है तो उम्मीद की जा सकती है कि शायद आने वाले समय में फिल्मों की टिकट कुछ सस्ती मिलें.
थिएटर्स की संख्या घटी
केंद्रीय सूचना और प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा के हवाले से बताया गया है कि पिछले 5 सालों में थिएटर्स की संख्या घटी है. इसे ध्यान में रखते हुए थिएटर खोलने के लिए सिंगल विंडो पोर्टल बनाया जाएगा, ताकि इनकी संख्या बढ़ाई जा सके. चंद्रा ने यह भी कहा साल 2030 तक फिल्म और मनोरंजन उद्योग को 100 अरब डॉलर से भी ज्यादा तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया जाना चाहिए. मुंबई में 'फिक्की फ्रेम्स फास्ट ट्रैक 2022' समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि फिल्म क्षेत्र में ज्यादा विदेशी निवेश लाने के लिए इन्वेस्ट इंडिया का लाभ उठाया जाएगा.
मॉडल थिएटर नीति होगी तैयार
सिनेमाघरों के मौजूदा हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए पिछले 5-6 सालों में सिनेमाघरों की संख्या में गिरावट आई है. हमें इस प्रवृत्ति को बदलना होगा. सरकार इस विषय पर एक मॉडल थिएटर नीति तैयार करेगी. उन्होंने बताया कि राज्यों के साथ मिलकर यह मॉडल थिएटर पॉलिसी बनाई जाएगी. ताकि राज्य इसे अपना सकें और देश में ज्यादा से ज्यादा थिएटर खोले जा सकें.
फिल्मों के महंगे टिकट पर केंद्रीय सूचना और प्रसारण सचिव ने कहा कि टिकट के दाम अधिक हैं, इन्हें नियंत्रित करने की जरूरत है. उन्होंने सिनेमा डे का उदाहरण देते हुए कहा कि जब नेशनल सिनेमा डे के मौके पर टिकटों की कीमतें घटाकर 75 रुपए कर दी गईं थीं, तो सभी शो हाउसफुल गए थे. इससे पता चलता है कि यदि कीमतें सही हों, तो लोग ज्यादा से ज्यादा लोग फिल्म देखने थिएटर आ सकते हैं. लोगों में सिनेमाघर जाने की लालसा अभी भी कायम है. इसलिए हमें टिकट के दाम नियंत्रित करने पर काम करने की जरूरत है.
उर्वशी गुप्ता