‘कठपुतली’ के बाद हॉटस्टार की एक और कमजोर कहानी, डरना इतना भी जरूरी नहीं है
डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर हिंदी के किस्से कहानियों की अपनी एक अलग कहानी बनती दिखने लगी है। कहां तो इस ओटीटी पर डिज्नी, मार्वल, पिक्सार, लुकास फिल्म्स और ट्वेंटिएथ सेंचुरी स्टूडियोज जैसी कंपनियों का बेहतरीन कॉन्टेंट देखने को मिलता है और कहां बानीजे एशिया का ये ‘दहन: राकन का रहस्य’! एक आईएएस है जो अपने पति की असमय मौत और भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते हाशिये पर है। एक दिन उसका मन फील्ड पोस्टिंग का होता है। वह सीधे सचिवालय पहुंचती है। हाथ के हाथ ओएसडी की पोस्टिंग पाती है। बेटे से रास्ते में इसे तीन चार हफ्ते की बात बताती है। फिर किसी मेट्रो शहर में जाकर सेटल होने के उसे ख्वाब दिखाती है और मौके पर पहुंच कर एलान करती है, ‘मैं आपकी नई डीएम हूं जिसे कलेक्टरनी भी कहते हैं।’ आईएएस के तबादले पोस्टिंग जिन लेखकों को लगता है कि ऐसे ही होते हैं तो फिर उनकी लिखी सीरीज का क्या आलम होगा, समझा जा सकता है।किसी भी सीरीज का पहला एपिसोड उस कहानी का पायलट एपिसोड ही माना जाता है। इस एपिसोड में लेखक, निर्देशक को अपनी पूरी कल्पनाशक्ति, पूरी मेहनत झोंक देनी होती है। लेकिन, यहां एक आईएएस अफसर किसी ऐसी ट्रेन के डिब्बे में सफर कर रही है जिसकी खिड़कियां स्लीपर क्लास की हैं। आईएएस अफसर खुद अपना और अपने बेटे का रेलवे से मिला बिस्तर लगाते दिखती है। सुबह स्टेशन पर पहुंचने के बाद दफ्तर की गाड़ी आने तक कपड़े भी बदल लेती है। जो स्टेशन है, उस पर कोई और इंसान आता जाता नहीं है। पोस्टिंग उसकी किसी ऐसे जिला मुख्यालय पर है जहां नजदीकी रेलवे स्टेशन से जीप से पहुंचने पर भी रात हो जाती है। है ना कहानी कमाल की! लेकिन कमाल और भी हैं। जिस मूल विषय यानी ‘राकन’ की मायावी शक्तियों पर सीरीज बनी है, उसकी पृष्ठभूमि ये सीरीज दिखाती नहीं है बल्कि एक लंबे वार्तालाप में जीप के ड्राइवर के जरिये सुनाई जाती है।लेकिन, वेब सीरीज ‘दहन: राकन का रहस्य’ में दो कलाकारों सौरभ शुक्ला और मुकेश तिवारी की मौजूदगी से ही इस सीरीज को देखने का उत्साह बनता है, लेकिन तांत्रिक के रूप में सौरभ शुक्ला और पुलिस इंस्पेक्टर के रूप में मुकेश तिवारी दोनों सीरीज में बेअसर रहते हैं। कमजोरी यहां ये है कि दोनों के किरदारों को उनके पहले ही दृश्यों में जिस तरह पेश किया गया है, उसके बाद उनके किरदार से किसी तरह की अप्रत्याशित अभिनय की उम्मीद ही खत्म हो जाती है। अभिनय में अगर अभिनेता अपने प्रशंसकों को चौंकाता नहीं है तो फिर उसका अभिनय देखने का मजा जाता रहता है। राजेश तैलंग ने हालिया रिलीज सीरीज ‘दिल्ली क्राइम 2’ में भी पुलिसवाले का ही किरदार किया और खूब तारीफें बटोरीं, लेकिन यहां उनके किरदार का जो कनेक्शन है, वह उनका आभामंडल खत्म कर देता है।तकनीकी रूप से भी वेब सीरीज ‘दहन: राकन का रहस्य’ बहुत औसत से नीचे की सीरीज नजर आती है। कैमरा कोई खास कमाल नहीं करता है। रात के दृश्यों को समझने में बहुत मेहनत करनी होती है और इसकी वजह है शूटिंग के समय प्रकाश संयोजन का बेहतर न होना। कई बार तो ये शक इस बात का भी होता है कि वेब सीरीज का प्रसारण बिना क्वालिटी चेक (क्यूसी) के ही कर दिया गया है। एडिटिंग के इतने जम्प कट्स शायद ही इससे पहले किसी वेब सीरीज में दर्शकों ने देखे होंगे। सीरीज को हॉरर सीरीज की तरह बनाकर पेश किया गया है। हॉरर को देखने वाले दर्शक भी बहुत हैं लेकिन, सीरीज ऐसी हो तो फिर डरना इतना जरूरी भी नहीं है।