यूपी, बिहार समेत कई राज्यों में डेंगू का कहर
मानसून के दौरान और उसकी विदाई के बीच डेंगू और मच्छर जनित बीमारियों का बोलबाला बहुत सामान्य सी बात है। इसके बावजूद हर साल की वही कहानी है शासन-प्रशासन से लेकर सामुदायिक स्तर पर लापरवाही को ही दर्शाती है। तमाम अन्य बीमारियों की तरह डेंगू से बचाव का सबसे कारगर उपाय यही है कि उसकी चपेट में ही न आया जाए। यह मच्छर के कारण फैलता है और मच्छर गंदगी और ठहरे हुए पानी में पनपते हैं, तो आवश्यक है कि अपने आसपास स्वच्छता का पर्याप्त ध्यान रखा जाए। फिर भी यदि इस बीमारी की जद में व्यक्ति आ जाए तो उसे बिना देर किए अपना उपचार शुरू करना चाहिए डेंगू से पीड़ित मरीज को पौष्टिक और संतुलित आहार देना बहुत आवश्यक
डेंगू अमूमन दो से पांच दिनों के भीतर गंभीर रूप धारण कर लेता है। ऐसी स्थिति में मरीज को बुखार आना बंद हो सकता है। वह समझने लगता है कि बीमारी ठीक होने की दिशा में है लेकिन ऐसा होता नहीं है बल्कि यह स्थिति और भी खतरनाक होती है।
अभी हम कोरोना संक्रमण के कहर से पूरी तरह उबरे भी नहीं कि डेंगू ने कोहराम मचाना शुरू कर दिया है। इन दिनों उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सहित देश के कई राज्यों के तमाम इलाके डेंगू और वायरल बुखार के कोप से जूझ रहे हैं। डेंगू के एक नए प्रतिरूप ने तो स्वास्थ्य तंत्र के समक्ष एक नई चुनौती ही खड़ी कर दी है। डेंगू की भयावहता का अंदाजा इसी पहलू से लगाया जा सकता है कि समय से उपचार न मिलने के कारण रोगी की मौत भी हो जाती है। बीते दिनों कई इलाकों में मौत के आंकड़े इसकी पुष्टि भी करते हैं।