तराई व हरिद्वार के किसानों ने दी थी आंदोलन को धार, विर्क ने बताया बड़ी जीत
दिल्ली में एक साल से चल रहे किसान आंदोलन में उत्तराखंड के लोग भी खासा सक्रिय रहे। खासकर तराई बेल्ट यानी ऊधमसिंह नगर व हरिद्वार का इस आंदोलन से जुड़ाव ज्यादा रहा। दिल्ली के आंदोलन में शामिल होने के साथ स्थानीय स्तर पर रैली, महापंचायत व जनसभाओं का सिलसिला लगातार जारी था। यही वजह थी कि किसान संगठन के बड़े नेता राकेश टिकैत समेत अन्य किसान नेता भी उत्तराखंड के इन दो जिलों में कई बार किसानों में जोश भरने को आ चुके हैं। शुक्रवार सुबह जैसे ही पीएम मोदी ने ऐलान किया कि कृषि कानूनों को वापस लिया जाएगा। स्थानीय किसानों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। लोगों ने इस निर्णय को आंदोलन की जीत बताया था।ऊधमसिंह नगर व हरिद्वार जिला प्रदेश की कृषि बेल्ट माना जाता है। यहां छोटे से लेकर बड़े काश्तकार रहते हैं। यही वजह है कि दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का यहां बड़ा असर था। हालांकि, आंदोलन की वजह से लोगों को मुकदमों का सामना भी करना पड़ा। बाजपुर में बैरीकेड तोडऩे के आरोप में सैकड़ों किसानों पर एक साथ मुकदमा किया गया था। अन्य जगहों पर भी पुलिस ने इस तरह की कार्रवाई कई बार की। उसके बावजूद किसान आंदोलन में शामिल होने को लेकर लोगों का जोश कम नहीं हुआ।