अब हर भक्त चढ़ा सकेगा जल, भस्म आरती और प्रोटोकॉल के टिकट से हटेगी ज्योतिर्लिंग की तस्वीर

अब हर भक्त चढ़ा सकेगा जल, भस्म आरती और प्रोटोकॉल के टिकट से हटेगी ज्योतिर्लिंग की तस्वीर

उज्जैन के महाकाल मंदिर में कई बड़े बदलावों को मंजूरी दे दी गई है। श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए फैसला लिया गया है कि अब हर कोई ज्योतिर्लिंग पर जल अर्पित कर सकेगा। नई व्यवस्था के तहत श्रद्धालुओं से बाल्टी में जल लेकर पुजारी ज्योतिर्लिंग पर अर्पित करेंगे। अब तक कुछ श्रद्धालुजन कर्मचारियों की सहायता लेकर जुगाड़ से महाकाल को जल अर्पित करते थे और सामान्य श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग पर जल नहीं चढ़ा पाते थे। यह बात महाकाल के पुजारी और प्रबंध समिति के पूर्व सदस्य महेश पुजारी ने बताई है। उन्होंने कहा कि महाकाल सभी के लिए समान हैं। मंदिर कर्मचारियों का काम व्यवस्था बनाना होता है और वे कुछ लोगों को जल अर्पित करने में भी लगे रहते थे। इससे श्रद्धालुजनों के ज्योतिर्लिंग पर जल अर्पित नहीं करने के नियम से अन्य लोग वंचित रहते थे। कोरोना संक्रमण की वजह से ज्योतिर्लिंग पर श्रद्धालुओं के जल अर्पित करने पर प्रतिबंध लगाया गया था और केवल पुजारी ही भगवान को कर रहे थे जल अर्पित। महेश पुजारी कहना है कि महाकाल की भस्म के लिए टिकट की व्यवस्था है लेकिन टिकट पर ज्योतिर्लिंग की तस्वीर पर संज्ञान लेकर प्रबंध समिति को बताया गया। ज्योतिर्लिंग की तस्वीर टिकट पर होने से श्रद्धालुजनों द्वारा दर्शन के बाद टिकट को यहां-वहां फेंक दिए के जाने से ज्योतिर्लिंग की तस्वीर पैरों में आती है। यह भगवान का अपमान है। इसे टिकट से हटाए जाने के लिए प्रबंध समिति को कहा है और छपे टिकटों के बाद नई टिकटों पर यह तस्वीर नहीं छपेगी।

दरअसल महाकाल मंदिर में सौ रुपए के प्रोटोकॉल टिकट पर छपी महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की तस्वीर का विरोध शुरू हो गया था। इसके बाद महाकाल प्रबंध समिति ने टिकट से फोटो हटाने का निर्णय लिया। ज्योतिर्लिंग का यह फोटो भस्म आरती के लिए जारी होने वाले 201 रुपए के एंट्री टिकट पर भी छपा है। प्रबंध समिति ने कहा है कि दोनों जगहों से ज्योतिर्लिंग का फोटो हटा दिया जाएगा। दूसरी ओर पुजारियों के हाथों महाकालेश्वर को चढ़ाए जाने वाले जल को भी प्रबंध समिति ने प्रतिबंधित कर दिया है। श्रद्धालुओं का कहना था कि इन टिकटों को इस्तेमाल के बाद डस्टबिन में फेंक दिया जाता है। ऐसे में उन पर ज्योतिर्लिंग की तस्वीर होना गलत और अपमानजनक है। इस तर्क को देखते हुए मंदिर समिति ने यह फैसला लिया है।