लॉक डाउन से रोज कमाने वाले मजदूर और आटौ रिक्शा चालकों का दर्द- ए- दास्तान ।

पटना की सडकों पर यूँ तो auto रिक्शा की भरमार हुआ करती थी,, राजधानी की सबसे सस्ती और सुगम यात्रा की पहचान auto रिक्शा को माना जाता रहा है,, क्युंकि जिस हिसाब से राजधानी का विकास हुआ उस हिसाब से सस्ती यातायात के साधन का विस्तार पटना मे नही हो पाया,, यानी मैट्रो की सेवा अब तक राजधानी वासियो को नही मिल पायी। ऐसे में  अब तक auto रिक्शा ही हर एक व्यक्ति को उसके मंजिल तक पहुचती रही है ।  लेकिन जब से बिहार मे लॉक डाउन हुआ है तब से auto रिक्शा वालों पर दोहरी मार पड़ी है। आलम ये है की रोज की कमाई पर आफत तो है ही,, ऊपर से इस लॉक डाउन में  auto की सवारी ना के बराबर हो रही है,, इस वजह से  किश्त के रकम ने ज्यादा परेशान कर रखा है। आज राजधानी के एक auto चालक ने अपने दर्द को बयाँ किया।