चिराग पासवान को पहली बार मिली कैबिनेट में जगह, पिता के गढ़ से दर्ज की जीत

चिराग पासवान को पहली बार मिली कैबिनेट में जगह, पिता के गढ़ से दर्ज की जीत

चिराग पासवान को पहली बार मिली कैबिनेट में जगह, पिता के गढ़ से दर्ज की जीत

1962 के बाद नरेंद्र मोदी दूसरे ऐसे राजनेता हैं, जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ लिया. मोदी 3.0 की सरकार बनाने में इस बार एनडीए के दो सहयोगी दलों की अहम भूमिका रही. एक बिहार से जेडीयू तो दूसरी आंध्र की तेलुगू देशम पार्टी. नीतीश कुमार की पार्टी को 12 सीट तो चंद्रबाबू नायडू की पार्टी को 16 सीटों पर जीत मिली. वहीं, इन दोनों नेताओं ने केंद्र सरकार में अहम भूमिका की मांग की,लेकिन सूत्रों की माने तो बीजेपी ने गृह, रक्षा, विदेश और वित्त मंत्रालय अपने ही पास रखेंगे, वही मोदी 2.0 की सरकार में बिहार से 5 मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किया गया था. वहीं, इस बार मोदी कैबिनेट में 6 मंत्रियों को शामिल किया गया है. बिहार में लोजपा रामविलास की पार्टी का शानदार प्रदर्शन रहा. लोजपा (आर) को लोकसभा चुनाव में 5 सीटें दी गई थी और चिराग की पार्टी ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की. हर तरफ चिराग की चर्चा हो रही है. बता दें कि चिराग खुद को पीएम मोदी का हनुमान कहते हैं.


2024 लोकसभा चुनाव में चिराग ने हाजीपुर सीट से लड़े और जीत हासिल की. हाजीपुर लोकसभा सीट को चिराग के पिता स्व. रामविलास पासवान का गढ़ कहा जाता है. रामविलास पासवान हाजीपुर से 9 बार सांसद रह चुके हैं. वहीं, राजनीति से संन्यास लेने के बाद उनके इस सीट से पशुपति पारस ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. चिराग जमुई लोकसभा सीट से अब तक सांसदी लड़ते आ रहे थे. 2019 लोकसभा चुनाव में उन्हें जमुई से जीत भी मिली. इस बार उनकी जगह जमुई सीट से उनके जीजा जी अरुण भारती ने चुनाव लड़ा और जीत गए. हाजीपुर सीट को लेकर चाचा-भतीजे में लंबे समय से लड़ाई भी चली आ रही थी.चिराग पासवान को पहली बार 2014 में सफलता मिली. 2014 में 7 सीटों पर चुनाव लड़ा और 6 सीटों पर जीत हासिल की. पहली बार चिराग जमुई से सांसद बनें. उनके पिता रामविलास मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. चिराग को राजनीति में करीब 1 दशक हो चुका है. 2019 में एनडीए की प्रचंड जीत हुई थी, जिसके बाद रामविलास को बिहार से राज्यसभा भेजा गए. चिराग पासवान के अनुसार इस चुनाव के दौरान नीतीश और रामविलास के रिश्ते में खटास आई. 2020 में चिराग का परिवार और पार्टी दोनों ही टूट गया. पार्टी में टूट का मुद्दा चुनाव आयोग तक पहुंचा. जिसके बाद बिहार में अलग-अलग जगह जाकर चिराग ने अपनी नई टीम बनाई. चिराग लगातार बिहार की राजनीति में मेहनत करते रहे और 2024 लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 100 फीसदी जीत हासिल कर खुद को साबित कर दिया.