रामविलास पासवान की पुण्यतिथि से JDU नेताओं की दूरी, जानें क्या हैं इसके सियासी मायने
पूर्व केंद्रीय मंत्री सह लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान की पहली पुण्यतिथि पर राजधानी पटना में नेताओं का जो जमावड़ा चिराग पासवान ) के आवास पर हुआ, उसमें बिहार के सियासत के कई संकेत छिपे हुए हैं. JDU को छोड़कर तमाम राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने इस मौके पर पहुंचकर ये मैसेज देने की कोशिश की है कि उनके लिए रामविलास पासवान क्या महत्व रखते हैं. जेडीयू की तरफ से नीतीश कुमार की बात तो छोड़ दीजिए, पार्टी के किसी भी नेता की मौजूदगी नहीं दिखी. इसको लेकर बिहार के सियासी फिजां में चर्चा है और सवाल ये पूछा जा रहा है कि क्या राजनीतिक विरोध के लिए ऐसे मौके पर भी किसी नेता ने चिराग पासवान के यहां जाना मुनासिब नहीं समझा.सवाल यहीं से खड़ा होता है कि JDU को छोड़ तमाम राजनीतिक पार्टियों के नेता चिराग के यहां पहुंचे, मगर सत्ताधारी दल जदयू का कोई नेता क्यों नहीं आया. वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे इसकी वजह बताते हैं और कहते हैं कि नीतीश कुमार को रामविलास पासवान की पहली पुण्यतिथि पर जाना चाहिए था. इससे कोई राजनीतिक घाटा भी नहीं था, लेकिन न जाने से ये साफ हो गया कि अब राजनीति, व्यक्तिगत पसंद-नापसंद में बदलती जा रही है. यह स्वच्छ राजनीति के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. कुछ लोग सवाल उठा सकते हैं कि नीतीश की नाराजगी तो विधानसभा चुनाव के पहले से ही थी. चुनाव परिणाम आने के बाद ये नाराजगी और बढ़ गई थी लेकिन जब रामविलास पासवान का निधन हुआ और उनका शव पटना पहुंचा था तब नीतीश कुमार पटना एयरपोर्ट भी पहुंचे थे. इस सवाल पर अरुण पांडे कहते हैं कि तब सरकार को प्रोटोकॉल का पालन करना था, क्योंकि राम विलास पासवान का केंद्रीय मंत्री रहते निधन हुआ था और नीतीश कुमार उसी प्रोटोकॉल का पालन करने पहुंचे थे.