क्‍या इस साल भी नहीं लगेगा हरिहरक्षेत्र का विश्‍वप्रसिद्ध सोनपुर मेला, विरासत को संभालने को मुखर हुए लोग

क्‍या इस साल भी नहीं लगेगा हरिहरक्षेत्र का विश्‍वप्रसिद्ध सोनपुर मेला, विरासत को संभालने को मुखर हुए लोग

 एशिया प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला हमारे पुरखों की विरासत है। धरोहर को बचाने की जद्दोजहद और सरकारी उदासीनता के बीच यह दूसरा वर्ष है, जब मेला लगने व नहीं लगने को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट निर्णय नहीं हो सका है। गत वर्ष के बाद इस साल भी मेला नहीं लगने की आशंका को लेकर एक तरफ जहां लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है, वहीं व्यवस्था संभाल रहे लोगों में मेला लगाए जाने को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं है। इस मुद्दे को लेकर बुधवार को सोनपुर प्रखंड कार्यालय पर धरना का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण व पक्ष-विपक्ष के स्थानीय नेता शामिल हुए। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि सरकार मेला को लेकर कोरोनावायरस संक्रमण का बहाना बना रही है। जबकि, स्कूल-कालेज, सिनेमा हाल, माल एवं शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के हाट-बाजार खोले जा चुके हैं। बिहार में अब पंचायत चुनाव भी करवाया जा रहा है। जब सब कुछ पर से रोक हटा ली गई है, तब सोनपुर मेले पर ही रोक क्यों?वैशाली के सोनपुर प्रखंड में आयोजित धरना को संबोधित करते हुए लोगों ने कहा कि इस कृषि प्रधान मेला से हजारों लोगों की आजीविका जुड़ी है। इससे रिक्शा, टमटम, आटो से लेकर फुटपाथ पर हस्तनिर्मित सामानों को बेचने वालो से लेकर देश के बड़े-बड़े कारोबारी तक जुड़े रहे हैं। यह मेला केवल अर्थ और व्यापार का केंद्र हीं नहीं, बल्कि धर्म और आस्था का महाकुंभ भी है। कार्तिक पूर्णिमा की तिथि को ही यहां लगभग 12 से 15 लाख लोग बाबा हरिहरनाथ का जलाभिषेक करने पहुंचते हैं। संपूर्ण मेले की अवधि के दौरान तकरीबन 50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं का आगमन होता है। मेले में लगभग चार अरब रुपये का कारोबार होता है। देश-विदेश की विभिन्न संस्कृतियों का यह मिलन स्थल भी है।