क्या एक बार कोविड हो जाने के बाद इससे दोबारा भी हो सकते हैं संक्रमित?
दो साल बीत गए और हम अब भी महामारी से जूझ रहे हैं। वैक्सीन और कई तरह के इलाज उपलब्ध होने के बावजूद, SARs-COV-2 वायरस और लगातार आ रहे है इसके वेरिएंट्स ने दुनियाभर में कोहराम मचा कर रखा हुआ है। पिछले दो सालों में कई लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। जबकि बड़ी संख्या में लोगों ने वायरस को हराया और अब स्वस्थ जीवन जी रहे हैं, वहीं, कुछ को दुर्भाग्य से इसका शिकार होकर अपनी जान गंवानी पड़ी। हालांकि, चिंता की बात यह है कि जिन लोगों ने इस बीमारी को हराया हैं, वे यह मानने लगे हैं कि वे लगभग "अजेय" हैं। मतलब अब वे इस वायरस से दोबारा संक्रमित नहीं हो सकते। लेकिन क्या ऐसा मानना सही है?
जो लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए और ठीक हो गए, वे SARs-COV-2 वायरस के खिलाफ एक निश्चित स्तर की प्रतिरक्षा की उम्मीद कर सकते हैं, जिसका मतलब है कि वे बार-बार होने वाले संक्रमण से सुरक्षित हैं। हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट्स यह अभी नहीं जानते हैं कि ये सुरक्षा कितने समय तक रहती है।
कोविड-19 वायरस से दोबारा संक्रमित होना आम नहीं है, लेकिन जिस तेज़ी से इसके नए वेरिएंट्स आ रहे हैं और मल्टीपल म्यूटेशन्स देखे जा रहे हैं, हेल्थ एजेंसीज़ का मानना है कि दोबारा संक्रमित होना मुमकिन है। यूके के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स (ONS) के एक विश्लेषण के अनुसार, डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन वेरिएंट में दोबारा संक्रमित होने का जोखिम 16 गुना अधिक है। WHO ने भी माना कि शुरुआती सबूत इस ओर इशारा कर रहे हैं कि ओमिक्रॉन के दौरान दोबारा संक्रमण होने का ख़तरा बढ़ा है।
कई अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि ओमिक्रॉन के उभरने से पहले, कोविड-19 संक्रमणों से उबरने के बाद लोगों के फिर संक्रमित होने की संभावना बहुत कम थी, कम से कम कई महीनों तक। हालांकि, ओमिक्रॉन वेरिएंट ने इस स्थिति को बदल दिया है। यूके में हुए एक अध्ययन के अनुसार, कोविड का नया वेरिएंट पिछले संक्रमण या दो वैक्सीन खुराक से मिली प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता रखता है।
डेनिश शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अन्य अध्ययन में यह भी पाया गया कि ओमिक्रॉन में टीकाकरण और बिना टीकाकरण वाले दोनों व्यक्तियों में प्राकृतिक प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता है। हालांकि, कोविड का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन के लक्षण काफी हल्के हैं, लेकिन इसकी उच्च संक्रामक दर सिर्फ यह बताती है कि यह अधिक विषाणुजनित है और इससे दोबारा संक्रमण होने के साथ-साथ दूसरा संक्रमण भी हो सकता है।
नए उभरते वेरिएंट्स और कमज़ोर प्रतिरक्षा के अलावा, कई अन्य कारक हैं, जो आपको फिर संक्रमित होने के जोखिम में डाल सकते हैं। जिन लोगों को वैक्सीन और बूस्टर डोज़ लग चुकी है, उनकी तुलना में जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है, उनमें बार-बार संक्रमण का ख़तरा बना रहता है, जो गंभीर भी हो सकता है। नए वेरिएंट से संक्रमित होने की संभावना भी बढ़ी है, लेकिन वह बीमारी हल्की होगी और अस्पताल में भर्ति और इससे मौत होने की संभावना कम रहेगी।