सुभाष चंद्र बोस की ऐसी थी जीवनी...कुछ रहस्य अभी बांक़ी...
आज सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती पर आंखें news24 की तरफ से उन्हें हम श्रद्धांजलि देते हैं और उसके साथ ही आपको उनके जीवन का परिचय कराते हैं। सुभाषचंद्र बोस भारत देश के महान स्वतंत्रता संग्रामी थे। उन्होंने देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए बहुत कठिन प्रयास किये| उड़ीसा के बंगाली परिवार में जन्मे सुभाषचंद्र बोस एक संपन्न परिवार से थे, लेकिन उन्हे अपने देश से बहुत प्यार था और उन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी देश के नाम कर दी थी| भारत को आजाद कराने में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की भूमिका काफी अहम थी। उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन कर अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1857 को उड़ीसा के कटक में एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम प्रभावती और पिता का नाम जानकीनाथ बोस था। सुभाष चंद्र बोस के सात भाई और 6 बहनें थीं। वह अपने माता पिता की नौवीं संतान थे। नेताजी अपने भाई शरद चंद्र के काफी करीब थे। उनके पिता जानकीनाथ कटक के मशहूर वकील थे और उन्हें राय बहादुर नाम की उपाधि दी गई थी। नेताजी को बचपन से ही पढ़ाई में काफी ज्यादा रुचि थी। वह काफी ज्यादा मेहनती और अपने गुरुओं के प्रिय भी थे। नेताजी को खेलकूद में कभी रुचि नहीं रही। वह अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी कर आगे की पढ़ाई के लिए कोलकाता चले गए।
सुभाष चंद्र बोस ने प्रेसिडेंसी कॉलेज से फिलॉसफी में बी.ए. किया। उसी कॉलेज में भारतीयों को अंग्रेजी प्रोफेसर के द्वारा सताए जाने पर नेता जी ने उनका विरोध किया। उस समय जातिवाद का मुद्दा काफी ज्यादा उठाया गया था। यह पहला मौका था जब नेता जी के मन में अंग्रेजों के ख़िलाफ जंग शुरू हुई। हालांकि उनके पिताजी उन्हें सिविल सर्विस की नौकरी कराना चाहते थे, लेकिन उस समय अंग्रेजों के वजह से भारतीयों का सिविल सर्विसेज़ में जाना काफी मुश्किल था, इसीलिए उनके पिता ने उन्हें सिविल सर्विसेज़ की तैयारी करने के लिए इंग्लैंड भेज दिया।
आपको बता दें नेताजी एक नौजवान सोच रखने वाले थे जिसकी वजह से वह यूथ लीडर के रूप में काफी ज्यादा चर्चित थे। उन्होंने कहा था, “स्वतंत्रता संग्राम के मेरे साथियों! स्वतंत्रता बलिदान चाहती है। आप ने आजादी के लिए बहुत त्याग किए हैं, लेकिन अपनी जान की आहुति देनी अभी बांकी है। मैं आप सबसे एक चीज मांगता हूं और वह है ख़ून। दुश्मन ने हमारा जो ख़ून बहाया है, उसका बदला सिर्फ ख़ून से ही चुकाया जा सकता है, इसलिए तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा।
सुभाष चंद्र बोस की पत्नी का नाम एमिली और बेटी का नाम अनिता बोस था। उनकी मृत्यु 18 अगस्त 1945 मैं जापान में हुई थी। कभी नकाब और चेहरा बदलकर अंग्रेजों को धूल चटाने वाले नेताजी की मौत भी बड़ी रहस्यमयी तरीके से हुई। दूसरे विश्वयुद्ध में जापान की हार के बाद नेताजी को नया रास्ता ढूंढ़ना जरूरी था। उन्होंने रूस से सहायता मांगने का निश्चय किया था। 18 अगस्त, 1945 को नेताजी हवाई जहाज से मंचूरिया की तरफ जा रहे थे। इस सफर के दौरान वो लापता हो गए। उस दिन के बाद वो कभी किसी को दिखाई नहीं दिए। 23 अगस्त, 1945 को जापान की दोमेई ख़बर संस्था ने दुनिया को ये ख़बर दी कि 18 अगस्त के दिन नेताजी का हवाई जहाज ताइवान की भूमि पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उस दुर्घटना में बुरी तरह से घायल होकर नेताजी ने अस्पताल में अंतिम सांस ली, लेकिन आज भी उनकी मौत को लेकर कई शंकाए जताई जाती हैं.