पीएम ने नौवीं बार तिरंगा फहराया, कहा- ये गांधी, बोस, अंबेडकर को याद करने का वक्त है

पीएम ने नौवीं बार तिरंगा फहराया, कहा- ये गांधी, बोस, अंबेडकर को याद करने का वक्त है

पीएम ने नौवीं बार तिरंगा फहराया, कहा- ये गांधी, बोस, अंबेडकर को याद करने का वक्त है

पीएम मोदी ने सोमवार सुबह लाल किले की प्राचीर से 7.30 बजे तिरंगा फहराया। यह 9वां मौका है, जब उन्होंने भारत के पीएम के तौर पर स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराया है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमारा तिरंगा आन बान शान के साथ लहरा रहा है।उन्होंने कहा, 'आज का दिवस ऐतिहासिक दिवस है। एक पुण्य पड़ाव, एक नई राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का यह शुभ अवसर है। आजादी की जंग में गुलामी का पूरा कालखंड संघर्ष में बीता है। भारत का कोई कोना ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न किया हो। जीवन न खपाया हो, आहुति न दी हो। आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष के लिए नमन करने का अवसर है। उनका स्मरण करते हुए उनके सपनों को पूरा करने के लिए संकल्प लेने का भी अवसर है। आज हम सभी कृतज्ञ हैं पूज्य बापू के, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाबा साहब आंबेडकर, वीर सावरकर के... जिन्होंने कर्तव्य पथ पर जीवन को खपा दिया। यह देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल। ऐसे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी।'

जब हम आजादी की चर्चा करते हैं, तो जंगलों में रहने वाले आदिवासी समाज का गौरव नहीं भूलते। बिसरा मुंडा समेत अनगिनत नाम है। जिन्होंने आजादी के आंदोलन की आवाज बनकर सुदूर जंगलों में आजादी के लिए मर मिटने की प्रेरणा जताई। एक दौर वो भी था, जब स्वामी विवेकानंद, स्वामी अरविंदो, रविंद्र नाथ टैगोर भारत की चेतना जगाते रहे। 2021 से शुरू हुए आजादी के अमृत महोत्सव में देशवासियों ने व्यापक कार्यक्रम किए। इतिहास में इतना बड़ा महोत्सव पहली बार हुआ। हमने उन महापुरुषों को भी याद किया, जिन्हें इतिहास में जगह नहीं मिली या उन्हें भुला दिया गया। मोदी ने कहा, '14 अगस्त को भारत ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस को भी हृदय के घावों को याद करके मनाया। देश वासियों ने भारत के प्रति प्रेम के कारण सबने दर्द खुशी खुशी सहे। आजादी के अमृत महोत्सव में हम सेना के जवानों, पुलिस कर्मी, ब्यूरोक्रेट, लोकसेवक, जनप्रतिनिधि, शासक-प्रशासकों को याद करने का अवसर है।'