चीन के साथ 45 सालों में पहली बार भारत का सीमा विवाद बढ़ा है : एस जयशंकर

चीन के साथ 45 सालों में पहली बार भारत का सीमा विवाद बढ़ा है : एस जयशंकर

मॉस्को के प्रीमाकोव इंस्टिट्यूट ऑफ़ वर्ल्ड इकॉनमी एंड इंटरनेशनल रिलेशन्स के एक कार्यक्रम में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि 45 सालों में पहली बार भारत का सीमा विवाद बढ़ा है, जिस वजह से कई लोगों की जान जा चुकी है और इसका असर दोनो देशों के रिश्तों पर पड़ा है।

उन्होनें अपनी बात रखते हुए यह भी कहा, 'बीते 40 सालों से चीन के साथ भारत के संबंध लगभग स्थिर रहे हैं। दोनों के बीच थोड़ा बहुत तनाव ज़रूर है लेकिन अमूमन रिश्ते बेहतर ही रहे हैं। लेकिन बीते एक साल से सीमा विवाद के कारण दोनों के रिश्तों को लेकर चिंता बढ़ी है क्योंकि चीन ने अपनी तरफ़ से सीमा को लेकर समझौतों का सम्मान नहीं किया है। इससे दोनों के बीच भरोसे पर असर पड़ा है।'

इस कार्यक्रम के तहत उन्होनें चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर बात करते हुए कहा, 'इस मामले में चीन अपवाद भी है और उदाहरण भी और भारत मानता है कि उसका विकास स्वाभाविक है।' आगे उन्होनें 'बदलती दुनिया में भारत और रूस के रिश्ते' पर अपनी बात रखते हुए यह भी कहा, 'इसे राजनीतिक तौर पर देखने के बजाय ऐतिहासिक तौर हो रहे विकास के रूप में देखा जाए तो दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया के अधिकतर देशों पर पश्चिमी ताक़तों का असर कम हुआ। कई देश आज़ाद हुए और उन्होंने विदेशी शासन के चंगुल से बाहर निकल कर अपना रास्ता तलाशना सीखा है।'

उन्होनें आगे यह भी कहा "बीते 75 सालों से विश्व में एक तरह की रीबैलेन्सिंग शुरू हुई है, उत्पादन के नए केंद्र बने हैं और नए बाज़ार बने है। देशों ने अपनी ताक़तों के साथ-साथ बाज़ार को बढ़ाया है। इस संदर्भ में चीन सबसे बड़ा और नाटकीय उदाहरण है और वो इस बड़े ट्रेंड का हिस्सा है। अपने इतिहास और शक्ति के कारण चीन बेहद अहम है और उसका आगे बढ़ना स्वाभाविक ही लगता है। वक़्त के साथ भारत भी ख़ुद को उसी स्थिति में देखता है।'

हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि 'आसियान देश भी इस इलाक़े में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। इसका भारत पर असर पड़ेगा क्योंकि भारत चीन का पड़ोसी है और दोनों के बीच अब भी सीमा विवाद समेत कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर बात होनी है। इसका असर एशिया के आयाम पर पड़ेगा। लेकिन दोनों यूरोशिया के इस इलाक़े पर बड़ा असर रखते हैं और मुझे लगता है कि रूस के लिए ये महत्वपूर्ण है। रणनीतिक तौर पर भारत आसियान और ब्रिक्स का हिस्सा है और भारत, चीन, रूस और दूसरे देशों के साथ सहयोग बढ़ाने और रिश्ते मज़बूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं।'