बर्फीली हवाओं ने बढ़ाई ठंड

बर्फीली हवाओं ने बढ़ाई ठंड

पहाड़ से आ रही बर्फीली हवाओं ने राज्य में भी कनकनी बढ़ा दी है,पिछले 24 घंटों के दौरान प्रदेश के कई जिलों में पारा 7 डिग्री तक गिर गया, जिसके कारण लोगों को तेज ठंड का एहसास होने लगा। 24 घंटों में हुए मौसम के बदलाव से राज्य के 20 शहरों का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से भी नीचे आ गया ।उत्तर और दक्षिण बिहार कोसी क्षेत्र के सभी प्रमुख शहरों के अधिकतम तापमान में भारी कमी की वजह से दिन में भी कनकनी बनी रही। पटना में न्यूनतम पारे में 6.6 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है और इसी वजह से रविवार इस सीजन का सबसे ठंडा दिन रहा। राजधानी का न्यूनतम पारा 7.6 डिग्री पर आ गया। गया पूरे प्रदेश में सबसे ठंडा स्थान रहा जहां का न्यूनतम पारा 5.3 डिग्री दर्ज किया गया। भागलपुर पूर्णिया में भी न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से नीचे आ गया है, वहीं मुजफ्फरपुर का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री दर्ज किया गया। पटना समेत राज्य के कई हिस्सों में दिन में भी तेज हवाओं के साथ चल रही बर्फीली हवाओं की वजह से लोग ठंड में सिकुड़ने को मजबूर हो गए। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि वातावरण में आए कुछ बदलावों की वजह से पिछले कुछ दिनों से ठंड की स्थिति में अप डाउन हो रहा था लेकिन अब धीरे-धीरे पारा और गिरने की संभावना है। बिहार के साथ ही उत्तर और पश्चिम भारत भी शीतलहर की चपेट में है।

इस बीच ठंड को देखते हुए डॉक्टरों ने लोगों से इससे बचने के लिए उपाय करने की नसीहत दी है। बीपी शुगर के मरीजों और बुजुर्ग लोगों को अधिक एहतियात बरतने की आवश्यकता है। उनका कहना है कि तापमान 7 डिग्री से कम होने और कनकनी  बढ़ने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता पर विपरीत असर पड़ता है। ठंड अधिक होने से सांस संबंधी समस्याएं सर्दी खांसी और टांसिल के साथ ही सूजन भी बढ़ जाती है। दमा के मरीजों की परेशानी भी बढ़ जाती है। ऐसे बुजुर्ग जिन्हें उच्च रक्तचाप हो उन्हें हार्टअटैक पक्षाघात के खतरे बढ़ जाते हैं इसीलिए डॉक्टरों ने लोगों से शरीर को ढक कर रखने और और गर्म भोजन करने की सलाह दी है। सुबह टहलने के दौरान शरीर को कपड़ों से ढक कर रखने को कहा है। इस बीच ठंड बढ़ने के बावजूद अभी तक प्रशासन की ओर से अलाव जलाने का बंदोबस्त नहीं होने के कारण गरीबों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

रैन बसेरे में विश्राम करने वाले लोगों का कहना है कि शासन की ओर से अलाव जलाने की व्यवस्था हो जाती तो उन्हें ठंड से थोड़ी राहत मिल जाती। लगातार बदल रहे मौसम चक्र के बावजूद इस बार रबी फसल के लिए सटीक मौसम हो गया है। मौसम विभाग के अनुसार तापमान कुछ और नीचे जाना है। गेहूं के लिए जरूरी है कि लंबी अवधि तक ठंड पड़े इस बार लंबे समय तक ठंड पड़ने के अनुमान ने किसानों को बड़ी राहत दी है।