राजद ने दो बड़े नेताओं को पार्टी से निकाला, छह साल के लिए दिखाया बाहर का रास्ता, जाने क्यों..

राजद ने दो बड़े नेताओं को पार्टी से निकाला, छह साल के लिए दिखाया बाहर का रास्ता, जाने क्यों..

पार्टी द्वारा घोषित प्रत्याशियों के खिलाफ काम करने के आरोप में राजद ने पार्टी के दो बड़े नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है इन दोनों नेताओं को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया है। निष्कासित नेताओं में झंझारपुर के पूर्व विधायक गुलाब यादव और हरसिद्धि के पूर्व विधायक महेश्वर सिंह हैं। आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने इस संबंध में एक पत्र जारी किया है।इन नेताओं पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप था। बताया जा रहा है कि यह दोनों नेता विधान परिषद चुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज थे और बगावत पर उतर गए थे।पिछले लोकसभा चुनाव में गुलाब को राजद ने झंझारपुर से प्रत्याशी भी बनाया था। किंतु वह चुनाव हार गए थे। वह अपनी पत्नी को विधान परिषद चुनाव में मधुबनी सीट से उतारना चाहते थे, जिसे राजद नेतृत्व ने नामंजूर कर दिया और मेराज आलम को प्रत्याशी बनाया। इसके विरोध में गुलाब ने अपनी पत्नी को निर्दलीय प्रत्याशी बनाने का ऐलान कर दिया। इसी तरह महेश्वर सिंह ने भी नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के आग्रह को ठुकरा दिया और पूर्वी चंपारण से खुद को दावेदार घोषित कर दिया, जबकि वहां से राजद ने बब्लू देव को प्रत्याशी बनाया है।गुलाब यादव का आरोप था कि पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने पहले उन्हें टिकट देने का वादा करते हुए चुनाव की तैयारी करने को कहा था। गुलाब ने कहा था कि हमने इलेक्शन लड़ने के लिए पूरी तैयारी भी कर ली थी। इस बीच मेराज आलम को राजद ने मधुबनी से प्रत्याशी बना दिया। गुलाब ने कहा था कि मेराज कमजोर प्रत्याशी हैं। निर्णय को लेकर उन्होंने राजद पर ही सवाल खड़ा किया था। कहा था कि पार्टी में कुछ लोग ऐसे हैं जो एनडीए के उम्मीदवार को मदद कर रहे हैं। बताते चलें कि गुलाब यादव हाल ही में एक बड़े मामले में फंसे हैं।उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की एक महिला ने गुलाब यादव पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। उन्होंने पटना के दानापुर थाने में राजद के पूर्व विधायक और एक अधिकारी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई थी। लगाने आरोप लगाने वाली महिला ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें खुद और अपने बेटे की जान पर खतरा है। गुलाब यादव के विवादों में फंसने के बाद राजद बैकफुट पर चली गई। संभवत इसी कारण विधान परिषद चुनाव में गुलाब की मनमर्जी को किनारे रखा गया।