जातीय जनगणना से अगड़ा-पिछड़ा बंट जाएगा : ललन सिंह
जाति आधारित जनगणना को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है कि इससे समाज अगड़ा-पिछड़ा में बंट जाएगा। हकीकत इसके उलट है। वर्ष 1931 में जाति आधारित जनगणना हुई थी। उसके बाद समाज के हर वर्ग के लोगों की संख्या बढ़ी है। उनकी जनगणना सभी के लिहाज से महत्वपूर्ण है। यह नकारात्मक सोच है कि बंट जाएगा समाज। सकारात्मक सोच यह है कि समाज के हर तबके के लोगों की गणना हो जाएगी। जब आप करना नहीं चाहते तो कई तर्क हैं। जदयू की तो यह मांग है। हमारे सांसदों ने गृहमंत्री अमित शाह से इसपर बात भी की है। हम अपनी पार्टी की आइडियोलाजी में इसे शामिल कर चुके हैं। समाज के हर तबके के साथ न्याय होना चाहिए।जदयू चाहता है कि जहां एनडीए की सरकार है वहां हम एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ें। पर अगर बात नहीं बनती है तो हम अकेले लड़ने को भी तैयार हैैं। यूपी और मणिपुर दोनों जगहों के बारे में पार्टी की यही राय है। हमने अरुणाचल प्रदेश में अकेले 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था और अच्छी संख्या में जीते। पार्टी का स्टैैंड पूरी तरह से साफ।आरसीपी सिंह जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तब उन्होंने बूथ स्तर तक पदाधिकारी बनाए। अब जब वह काम पूरा हो गया तो हम अपने कार्यकर्ताओं की बात कर रहे। कार्यकर्ता सक्रिय रहेंगे तभी तो बूथ भी चलेगा।