बिहार के दो मंत्रियों की सदस्यता पर खतरा!:कानून और पॉलिटिक्स के जानकार कह रहे- सबकुछ हाईकोर्ट के फैसले पर निर्भर

बिहार के दो मंत्रियों की सदस्यता पर खतरा!:कानून और पॉलिटिक्स के जानकार कह रहे- सबकुछ हाईकोर्ट के फैसले पर निर्भर

बिहार के दो मंत्रियों अशोक चौधरी और जनक राम की सदस्यता खतरे में पड़ सकती है। दरअसल, पिछले दिनों बिहार विधान परिषद में राज्यपाल कोटे से 12 नेताओं को मनोनीत किया गया। अब इस मनोनयन पर संकट के बादल दिख रहे हैं। वजह है कि इस पूरे मनोनयन को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका पटना हाई कोर्ट के सीनियर वकील बसंत कुमार चौधरी ने दायर की है।याचिका में कहा गया कि भारत का संविधान साहित्य, कलाकार, वैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता व कॉपरेटिव मूवमेंट से जुड़े हुए लोगों को मनोनीत करने की इजाजत देता है, लेकिन बिहार विधान परिषद में जिन 12 लोगों को MLC मनोनीत किया गया है, उन्हें बहुमत जुगाड़ने और पॉलिटिकली एडजस्ट करने के लिए मनोनीत किया गया है। यह संविधान के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन है।अब इसको लेकर बिहार सरकार के दो मंत्रियों के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है, क्योंकि मंत्री जनक राम और अशोक चौधरी राज्यपाल कोटा से मनोनीत होकर MLC बने हैं। इसके बाद ही दोनों नीतीश कुमार सरकार में मंत्री बनाए गए हैं। इसके अलावा JDU के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा के MLC पद पर भी खतरा बढ़ सकता है। इन्हें भी राज्यपाल कोटे से मनोनीत किया गया है।राज्यपाल राज्यपाल कोटे से मनोनीत किए गए जो 12 विधान पार्षद हैं। उनमें अशोक चौधरी, जनक राम, संजय सिंह, उपेन्द्र कुशवाहा, राम वचन राय, संजय कुमार सिंह, ललन सर्राफ़, राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, देवेश कुमार, प्रमोद कुमार, घनश्याम ठाकुर और निवेदिता सिंह शामिल हैं।कानून के जानकार और पटना हाईकोर्ट के वकील शांतनु कुमार की मानें तो यदि हाईकोर्ट संज्ञान लेता है और याचिका के मुताबिक सभी तथ्यों को सही माना जाता है, तो विधान पार्षदों की सदस्यता जा सकती है। फिर नए और नियमानुसार सदस्यों का मनोनयन राज्यपाल करेंगे। अंतिम निर्णय हाईकोर्ट को ही लेना होता है।