अमेरिका ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान की जमकर तारीफ की, दुनिया में फिर बजा भारतीय पीएम का डंका...

अमेरिका ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान की जमकर तारीफ की,  दुनिया में फिर बजा भारतीय पीएम का डंका...
अमेरिका ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान की जमकर तारीफ की,  दुनिया में फिर बजा भारतीय पीएम का डंका...

अमेरिका ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान की जमकर तारीफ की,

दुनिया में फिर बजा भारतीय पीएम का डंका...

दरअसल, पिछले दिनों उजबेकिस्तान के समरकंद में आयोजित एससीओ समिट के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत के पीएम मोदी समेत कई देशों के प्रमुख मौजूद थे.

इस दौरान पुतिन और मोदी की मुलाकात भी हुई. दोनों ने काफी देर तक बातचीत की. इस दौरान मोदी ने पुतिन से कहा था कि यह समय युद्ध का नहीं है. इस बयान की तारीफ अगले ही दिन दुनियाभर की मीडिया ने की थी. अब रूसी आला अधिकारी भी इसके पक्ष में नजर आ रहे हैं.
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इंडिया में कितनी पॉपुलैरिटी है, यह किसी से छिपी नहीं है. धीरे-धीरे उनका लोहा दुनिया भी मानने लगी है. भारतीय पीएम की एका बार फिर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है. यही नहीं नरेंद्र मोदी की हाल में सामने आई एक विचारधारा को तो अमेरिका को भी फॉलो करने के लिए कहा जा रहा है और कमाल की बात ये है कि इसे फॉलो करने की सलाह कोई बाहरी व्यक्ति नहीं, बल्कि अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने दी है. चलिए आपको विस्तार से बताते हैं, आखिर क्या है पूरा मामला.

पीएम मोदी के इस बयान को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवान ने कहा, मुझे लगता है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ समिट में जो कहा है वह सिद्धांतों का एक बयान है जिस पर वह विश्वास करते हैं और वह सही भी है. अमेरिका इसकी तारीफ करता है. भारत के मॉस्को से लंबे औऱ पुराने संबंध हैं, लेकिन इसके बाद भी मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से जो कहा वह तारीफ के काबिल है. उन्होंने इस बयान के संदर्भ में युद्ध को अंत करने पर जोर दिया. उन्होंने आगे कहा, यह युद्ध समाप्त होना चाहिए, साथ ही रूस के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर की मूल शर्तों का पालन करते हुए उन क्षेत्रों को भी वापस करना चाहिए जिन्हें उसने बलपूर्वक कब्जा लिया है. यह एक संदेश है कि प्रत्येक देश, चाहे वे रूस, यूक्रेन या संयुक्त राज्य के बारे में कुछ भी महसूस करें,  सभी को इस मूल प्रस्ताव के इर्द-गिर्द केन्द्रित होने में सक्षम होना चाहिए. आप अपने पड़ोसियों के क्षेत्र को बलपूर्वक जीत नहीं सकते हैं, और यदि रूस उस प्रयास को छोड़ देता है तो यूक्रेन में शांति सबसे तेज और निर्णायक रूप से आएगी.


उर्वशी गुप्ता