संसद में 2021-22 के लिए आर्थिक सर्वे पेश, जानिये क्या है इस बार...

संसद में 2021-22 के लिए आर्थिक सर्वे पेश, जानिये क्या है इस बार...

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में 2021-22 के लिए आर्थिक सर्वे पेश किया। आर्थिक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि अगले वित्तीय वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर आठ से साढे़ आठ प्रतिशत के बीच  रहेगी।

देश में बीते 5 सालों में स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च दोगुना हो गया है। वर्ष दो हजार सत्रह अट्ठारह में यह खर्च 2 लाख 43 हजार करोड रुपए था जो वर्ष 2021 22 में दोगुना होकर 4 लाख72 हजार करोड़ रूपये हो गया है। यह खर्च हमारी कुल जीडीपी का 2.1% है पहले यह 1.4% था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में 2021-22 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जिसमें ये जानकारी दी गई है।

आर्थिक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि देश की अर्थव्यवस्था अगले वित्त वर्ष में 8 से 8.5 फ़ीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी। साथ ही महंगाई दर भी काबू में रहने की उम्मीद जताई गई है।आर्थिक सर्वे के अनुसार वित्त वर्ष 2022 में आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य तभी हासिल हो सकता है जब कोई महामारी संबंधी आर्थिक व्यवधान नहीं आए। साथ ही कहा गया है कि मानसून सामान्य रहेगा और कच्चे तेल की कीमतें 70-75 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहेंगी।

सरकार का मानना है कि तेज टीकाकरण और आपूर्ति व्यवस्था में सुधारों के साथ ही अर्थव्यवस्था भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है।वित्त मंत्रालय के आर्थिक सर्वे में ये अनुमान लगाया गया है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 9.2% रहेगी। आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अन्य सेवा प्रदाता नियमों में ढील और दूरसंचार क्षेत्रों में सुधारों सहित विभिन्न नीतिगत कदमों से आईटी सेवा क्षेत्र की वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा और बड़ी संख्या में रोजगार के मौके तैयार होंगे। वही नए मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि सरकार ने जरूरी क्षेत्रों को सहारा देने की आवश्यकता पर फोकस किया है, जबकि प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने कहा कि भारत की रणनीति अब आयात आधारित नहीं रहेगी बल्कि आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ेगी।

भारत 630 अरब डालर से अधिक के विदेशी मुद्रा भंडार और हालात से निपटने के लिए पर्याप्त नीतिगत गुंजाइश होने से फेडरल रिजर्व समेत विदेशी केंद्रीय बैंकों के मौद्रिक नीति के कदमों का बखूबी सामना कर सकता है। हालांकि सर्वे में सरकार ने माना है कि तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण महंगाई दर बढ़ी है। वित्तीय वर्ष 2019 में अप्रैल से दिसंबर में महंगाई बढ़ने की  मुख्य वजह खाद्य उत्पादों का महंगा होना था। 2021-22 की समान अवधि में ईंधन की कीमतों में वृद्धि के चलते महंगाई बढ़ी। चालू वित्त वर्ष में सरकार की आय में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है।

2020- की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष में सरकार की आय में 64.9% की वृद्धि दर्ज की गई है। संसद के पटल पर पेश आर्थिक सर्वे में बिहार के लिए भी अच्छी खबर है। सर्वे के अनुसार कोरोना के प्रहार के बाद भी बिहार ने अपनी अर्थव्यवस्था की रफ्तार को थमने नहीं दिया। जहां पड़ोसी राज्य झारखंड समेत देश के कई बड़े-बड़े राज्यों की जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय घटी है वहीं बिहार की जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय में इजाफा हुआ है।

कोरोना काल में भी बिहार की अर्थव्यवस्था में उछाल के कारण बिहार के प्रति व्यक्ति की औसत सालाना आमदनी 1221 रूपये बढ़ गई है। पहली लहर के बाद दूसरे प्रदेशों से वापस लौटे मजदूरों ने फिर से काम वाले ठिकानों पर जाकर बिहार की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने में बड़ी भूमिका निभाई है। इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से संरचनागत परियोजनाओं पर किए गए खर्च ने भी राज्य की अर्थव्यवस्था को गिरने से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।इसके कारण बिहार की अर्थव्यवस्था धीमी गति से ही सही लेकिन आगे की ओर बढ़ी है।