वक्फ पर चुप रहने के लिए भाजपा के साथ नेशनल कांफ्रेंस ने किया समझौता, PDP का आरोप
नेशनल कांफ्रेंस पर सत्ता के मोह में बंधे होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, केवल जम्मू-कश्मीर के मुसलमान ही नहीं , बल्कि देश के बाकी हिस्सों के मुसलमान भी हमारी ओर देख रहे हैं। इस सरकार ने उन्हें बुरी तरह निराश किया है , क्योंकि आप मुसलमानों के बारे में बात नहीं करना चाहते हैं।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता इल्तिजा मुफ्ती ने मंगलवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस पर विवादास्पद वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर चुप रहने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ समझौता करने का आरोप लगाया।
इल्तिजा ने कहा, विधानसभा में पार्टी के 50 विधायक होने के बावजूद नेशनल कॉन्फ्रेंस ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव क्यों नहीं लाया। फारूक अब्दुल्ला साहब को हमें आज के बारे में बताना चाहिए। उनके बेटे 50 विधायकों के साथ मुख्यमंत्री हैं। कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु ने वक्फ के खिलाफ प्रस्ताव लाने का फैसला किया। तमिलनाडु पहले ही इसे ला चुका है। हमारे मुख्यमंत्री क्या कर रहे हैं? वे वक्फ के खिलाफ प्रस्ताव क्यों नहीं लाये।
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ सरकार ट्यूलिप गार्डन में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के साथ फोटो खिंचवाने में व्यस्त थी, जबकि वक्फ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को नजरअंदाज किया जा रहा था। उन्होंने कहा, उनकी (नेशनल कांफ्रेंस) पहले से ही भाजपा के साथ सहमति है कि हम वक्फ के बारे में बात नहीं करेंगे और इसके खिलाफ कोई प्रस्ताव नहीं लायेंगे।
पीडीपी नेता ने सवाल उठाया कि जम्मू कश्मीर भारत का एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य होने के बावजूद वक्फ के खिलाफ प्रस्ताव क्यों नहीं लाया गया। नेशनल कांफ्रेंस पर सत्ता के मोह में बंधे होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, केवल जम्मू-कश्मीर के मुसलमान ही नहीं , बल्कि देश के बाकी हिस्सों के मुसलमान भी हमारी ओर देख रहे हैं। इस सरकार ने उन्हें बुरी तरह निराश किया है , क्योंकि आप मुसलमानों के बारे में बात नहीं करना चाहते हैं।
उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि वक्फ मामला विचाराधीन है। उन्होंने कहा, यहां तक कि अनुच्छेद 370 भी विचाराधीन है, फिर भी वे इसके लिए लड़ने का दावा करते हैं। वक्फ अपवाद क्यों है। राज्य का दर्जा बहाल करने को भाजपा का एजेंडा बताते हुए उन्होंने जोर दिया कि पीडीपी का संघर्ष राज्य के दर्जे से कहीं आगे तक जाता है, जिसका लक्ष्य जम्मू कश्मीर की विशेष संवैधानिक स्थिति की वापसी है।