जाति जनगणना: खरगे ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी, सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग; तेलंगाना मॉडल अपनाने का आग्रह

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वह जातिगत जनगणना के विषय पर सभी राजनीतिक दलों से जल्द बातचीत करें और इस मामले में तेलंगाना मॉडल का उपयोग किया जाए।
खरगे ने यह भी कहा कि राज्यों द्वारा पारित आरक्षण को तमिलनाडु की तर्ज पर संविधान की नौंवी अनुसूची में डाला जाए, आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को खत्म किया जाए और निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की व्यवस्था लागू हो।
पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में बताया गया है कि मैंने 16 अप्रैल 2023 को आपको पत्र लिखकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा जातिगत जनगणना कराने की मांग आपके समक्ष रखी थी। अफ़सोस की बात है कि मुझे उस पत्र का कोई जवाब नहीं मिला। दुर्भाग्य से, उसके बाद आपके पार्टी के नेताओं और स्वयं आपने कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के नेतृत्व पर इस जायज मांग को उठाने के लिए लगातार हमले किए। आज आप स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि यह मांग गहन सामाजिक न्याय और सामाजिक सशक्तिकरण के हित में है। आपने बिना किसी स्पष्ट विवरण के यह घोषणा की है कि अगली जनगणना (जो वास्तव में 2021 में होनी थी) में जाति को भी एक अलग श्रेणी के रूप में शामिल किया जाएगा। इस संबंध में मेरे तीन सुझाव हैं, जिन पर आप कृपया विचार करें।
1. जनगणना से सम्बंधित प्रश्नावली का डिजाइन अत्यंत महत्वपूर्ण है।केंद्रीय गृह मंत्रालय को जनगणना में इस्तेमाल किए जानेवाले प्रश्नावली और पूछे जानेवाले प्रश्नों के लिए तेलंगाना मॉडल का उपयोग करना चाहिए।
2. जातिगत जनगणना के जो भी नतीजे आएँ, यह स्पष्ट है कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण पर मनमाने ढंग से लगाई गई 50% की अधिकतम सीमा को संविधान संशोधन के माध्यम से हटाया जाना होगा।
3. अनुच्छेद 15(5) को भारतीय संविधान में 20 जनवरी 2006 से लागू किया गया था। इसके बाद इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। लंबे विचार-विमर्श के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने 29 जनवरी 2014 को इसे बरकरार रखा—यह फैसला 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले आया। यह निजी शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान करता है। इसे क्रियान्वित किया जाना चाहिए।
जाति जनगणना जैसे किसी भी प्रक्रिया को, जो पिछड़ों, वंचितों और हाशिये पर खड़े लोगों को उनके अधिकार दिलाने का माध्यम बनता है, किसी भी रूप में विभाजनकारी नहीं माना जाना चाहिए। हमारा महान राष्ट्र और हमारे विशाल हृदय लोग विपरीत परिस्थितियों में हमेशा एकजुट होकर खड़े हुए हैं। हाल ही में पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमलों के बाद हम सबने एकजुटता का परिचय दिया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का मानना है कि सामाजिक और आर्थिक न्याय तथा स्थिति और अवसर की समानता सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना को उपरोक्त सुझाए गए समग्र तरीके से कराना अत्यंत आवश्यक है। यही हमारे संविधान की प्रस्तावना में भी संकल्पित है।