गिरता ग्राफ और सिमटते जनाधार से कैसे होगी सियासी नैया पार, चुनाव से पहले अकेली पड़ी मायावती

गिरता ग्राफ और सिमटते जनाधार से कैसे होगी सियासी नैया पार, चुनाव से पहले अकेली पड़ी मायावती

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं। उत्तर प्रदेश की 4 बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती एक बार फिर सत्ता में वापसी के सपने संजोए बैठी हैं। हालांकि उनके लिए यह बड़ी चुनौती बनती जा रही है। उनकी पार्टी बहुजन समाज पार्टी यानी कि बसपा लगातार कमजोर होती जा रही है। बसपा की कमजोरी का कारण पार्टी से टूट रहे विधायक हैं। हाल में ही बसपा विधानमंडल दल के नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने भी पार्टी का साथ छोड़ दिया। हालांकि गुड्डू जमाली ऐसे पहले विधायक नहीं है जिन्होंने पार्टी को अलविदा कहा है। इनसे पहले भी कई और विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है। आलम यह है कि वर्तमान में देखें तो पार्टी के 75% विधायक बसपा से दूरी बना चुके हैं।