सेना ने की शांति बनाए रखने की अपील, संसद अध्यक्ष बन सकते हैं कार्यवाहक राष्ट्रपति

सेना ने की शांति बनाए रखने की अपील, संसद अध्यक्ष बन सकते हैं कार्यवाहक राष्ट्रपति

सेना ने की शांति बनाए रखने की अपील, संसद अध्यक्ष बन सकते हैं कार्यवाहक राष्ट्रपति

श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट को लेकर राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी शनिवार को मध्य कोलंबो के कड़ी सुरक्षा वाले फोर्ट इलाके में राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास में घुस गए थे. प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के इस्तीफे की पेशकश किये जाने के बाद भी प्रदर्शनकारियों ने उनके निजी आवास में आग लगा दी थी. वही अमेरिका ने श्रीलंकाई नेताओं से देश में आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिरता के लिए काम करने का आग्रह किया,  अमेरिका ने रविवार को श्रीलंका के राजनीतिक समुदाय से आगे आने और लोगों के असंतोष को दूर करने के लिए दीर्घकालिक आर्थिक और राजनीतिक समाधान के वास्ते जल्द काम करने का आग्रह किया. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने रविवार को कहा कि 'अमेरिका श्रीलंका की संसद से किसी एक राजनीतिक दल की नहीं बल्कि राष्ट्र की बेहतरी की प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ने का आह्वान करता है.'
प्रवक्ता ने कहा, 'हम इस सरकार या किसी भी नयी, संवैधानिक रूप से चुनी गई सरकार से उन समाधानों की पहचान करने और उन्हें लागू करने के लिए शीघ्रता से काम करने का आग्रह करते हैं जो दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता प्राप्त करेंगे और बिजली, भोजन और ईंधन की कमी सहित बिगड़ती आर्थिक स्थितियों पर श्रीलंकाई लोगों के असंतोष को दूर करेंगे.'राष्ट्रपति राजपक्षे फिलहाल कहां हैं इसकी जानकारी नहीं है और ऐसा माना जा रहा है कि 73 वर्षीय नेता भारी भीड़ के आने से पहले घर से निकल गए थे. सरकार विरोधी प्रदर्शन रविवार को भी जारी हैं और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे तथा प्रधानमंत्री रॉनिल विक्रमसिंघे के आवासों पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा है. वही इसबीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष  आईएमएफ  ने रविवार को कहा कि वह श्रीलंका के हालात पर नजर बनाए हुए है. आईएमएफ ने उम्मीद जतायी की राजनीतिक गतिरोध जल्द समाप्त कर लिया जाएगा ताकि आईएमएफ समर्थित योजना पर बातचीत दोबारा शुरू हो सके. श्रीलंका में आईएमएफ के वरिष्ठ मिशन प्रमुख पीटर ब्रेयर और मिशन प्रमुख मासाहिरो नोजाकी ने बयान में कहा कि हमारी श्रीलंका के घटनाक्रम पर नजदीकी नजर है. ब्रिटेन से 1948 को आजाद होने के बाद श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. विदेशी मुद्रा संकट से निपटने के लिए श्रीलंका को कम से कम चार अरब डॉलर की जरूरत है.बता दें कि 2.2 करोड़ लोगों की आबादी वाला देश सात दशकों में सबसे खराब दौर से गुजर रहा है. श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी है, जिससे देश ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के जरूरी आयात के लिए भुगतान कर पाने में असमर्थ हो गया है. मीडिया में चर्चा है कि संसद अध्यक्ष कार्यवाहक राष्ट्रपति बन सकते हैं.