हमने देखे हैं इतिहास के कई दौर, जमींदारी उन्‍मूलन से शराबबंदी तक देश को भी दिखाई राह

हमने देखे हैं इतिहास के कई दौर, जमींदारी उन्‍मूलन से शराबबंदी तक देश को भी दिखाई राह

 मुझे याद है सात फरवरी 1921 का वह दिन, जब पहली बार मेरी छांव तले विधान सभा की पहली बैठक हुई थी। तब मेरा नाम 'बिहार-उड़ीसा विधान परिषद' भवन था। आज सौ साल बाद मेरे अंदर अतीत की तमाम स्‍मृतियां उमड़-घुमड़ रहीं हैं। आंखों के सामने से एक-एक घटना किसी फिल्‍म की तरह गुजर रही है। आजादी के पहले हमारे यहां हीं पहली बार स्‍वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देने में स्‍वदेशी चरखा की बात की गई थी। यही चरखा बाद में गांधीजी ने अपने जनांदोलन में शामिल किया। मैं गवाह हूं आजादी के पहले से लेकर आज तक की अनेक ऐतिहासिक घटनाओं का। देखे हैं जमींदारी उन्‍मूलन से लेकर शराबबंदी व आगे तक के ऐतिहासिक फैसलों के कई दौर, जिन्‍होंने समय-समय पर देश को भी राह दिखाई है।अब मेरे शताब्दी वर्ष समारोह में शामिल होने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) बुधवार को पटना आ रहे हैं। राष्‍ट्रपति मेरे परिसर में शताब्दी स्तंभ का शिलान्यास करेंगे। इस शताब्दी स्तंभ पर बिहार का गौरवशाली इतिहास दिखाया जाएगा। राष्‍ट्रपति कोविंद का मुझसे पुराना नाता है। राष्‍ट्रपति बनने के पहले बिहार का राज्‍यपाल रहते उनका मेरे पास आना-जाना लगा रहता था।