आखिर क्यों आसमान छू रहे नींबू के भाव
आखिर क्यों आसमान छू रहे नींबू के भाव
पहली बार नींबू इन दिनों राष्ट्रीय चर्चा का विषय बने हुए हैं। कारण है नींबू केआसमान छूते भाव। आखिर क्यों बढ़ रहे हैं नींबू के दाम, थोक में भी नींबू के दाम इन दिनों 150 से 250 रुपए किलो देश की अलग अलग मंडी में बने हुए हैं। कारण यह बताया जा रहा है कि इस बार नींबू का उत्पादन देश में कम है। इस कारण फुटकर में नींबू के दाम तो 250 से 500 रुपए किलो तक देखे जा रहे हैं। यानी एक नींबू 7 से 15 रुपए का हो गया है। गर्मी के इस मौसम में नींबू के दामों में इस तेजी ने लोगों की शिकंजी का मजा बिगाड़ दिया है। गली-ठेले में मिलने वाला एक ग्लास नींबू पानी अब कोको-कोला से भी महंगा बिक रहा है। सब्जी वालों की भी नींबू की टोकरी पर खास नजर रहती है। कहीं कोई एक नींबू ज्यादा न तुल जाए या कोई सब्जी के साथ फ्री में न ले जाए।
आखिर कम क्यों है नींबू का उत्पादन
लेकिन सवाल यही उठता है कि नींबू का उत्पादन आखिर इस बार कम क्यों है। नींबू कोई सीजन की फसल तो है नहीं कि इसमें सीजन की तरह कमी-बेशी उत्पादन में होती हो। नींबू के पेड़ एक बार लगने के बाद सालों-साल फल देते रहते हैं। लेकिन इस बार क्या पेड़ अचानक सूख गए हैं या फिर उनमें फल नहीं आए हैं। किसानों ने बताया कि पेड़ सूखने जैसी कोई समस्या नहीं है। सांगानेर में एक फार्म हाउस में नियमित खेती करने वाले किसान बजरंग सैनी ने एक निजी पत्रिका को बताया कि इस बार उनके पेड़ों में फल नहीं आए हैं। ऐसा क्यों हुआ , इस पर वो भी हैरानी व्यक्त करते हैं।
अचानक बढ़ी गर्मी से नींबू के तेवर हुए तल्ख
लेकिन कृषि वैज्ञानिक और ग्लोबल विवेकानंद यूनिवर्सिटी के डीन प्रो. होशियार सिंह इसके कारणों पर प्रकाश डालते हैं। सिंह ने बताया कि ऐसा मौसम में अचानक परिवर्तन आने से हुआ है। होशियार सिंह ने एक निजी पत्रिका को बताया कि इस बार मार्च के पहले सप्ताह में ही उत्तर भारत में तापमान 32 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया। मार्च के पहले पखवाड़े में ही नींबू में फूल आते हैं और फिर फ्रूट सेटिंग होती है। लेकिन इसके लिए तापमान 32 डिग्री से कम होना जरूरी होता है। तापमान अचानक बढ़ जाने से इस बार फ्रूट सेटिंग नहीं हो सकी और इस तरह से पेड़ों में फल नहीं आए। नतीजा सामने है, नींबू के पेड़ तो हैं पर उन पर फल नहीं आए और इस तरह नींबू की किल्लत पैदा होने के चलते नींबू के भाव आसमान छू रहे हैं और राष्ट्रीय विमर्श का विषय बने हुए हैं। कोई हैरानी नहीं कि इस बार पूरा उत्तर भारत नींबू के लिए दक्षिण भारत पर निर्भर बना हुआ है। सिंह ने बताया कि नींबू की फसल हर तीन माह में आती है। इसलिए फिलहाल एक-डेढ़ माह तो नींबू की इस महंगाई से निजात मिलने के आसार नहीं हैं।