पूर्वी बिहार में बाढ़ की स्थिति लगातार भयावह

पूर्वी बिहार में बाढ़ की स्थिति लगातार भयावह

पूर्वी बिहार में बाढ़ की स्थिति लगातार भयावह हो रही है। गंगा और कोसी नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। भागलपुर शहरी क्षेत्र और कहलगांव के बादनवगछिया में भी पानी घुस गया। नवगछिया में गंगा और कोसी का पानी चारों तरफ फैलने लगा है। 
कोसी नदी का पानी नवगछिया बाजार की खरनयी नदी में गिर रहा है। इससे नवगछिया बाजार में भी लोगों की परेशानी बाढ़ सकती है। कटिहार के मनिहारी रेलखंड पर पानी चढ़ गया है। इस रेलखंड पर अभी एकमात्र जानकी एक्सप्रेस चलती है। एडीआरएम ने बताया कि रेलवे स्थिति पर नजर रख रही है। 
मुंगेर व खगड़िया में भी बाढ़ के कारण लोगों की परेशानी बनी हुई है। सभी नदियां अब भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। भागलपुर जिले के 502 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। लगभग आठ लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित है। 123 पंचायत और 15 प्रखंडों में बाढ़ का पानी फैला है। पानी फिलहाल कम नहीं हो रहा है। 
हर दिन नए इलाके में पानी घुस रहा है। भागलपुर रेलखंड पर बुधवार को पांचवें दिन भी ट्रेनों का परिचालन ठप रहा। शनिवार से ही ट्रेनें नहीं चल रही हैं। कई ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं तो कई ट्रेनें या तो डाइवर्ट कर दी गई है या शार्ट टर्मिनेट कर दी गई हैं। भागलपुर-दानापुर इंटरसिटी जमालपुर से ही खुल रही है। 
एनएच 80 पर भी वाहनों का परिचालन एक सप्ताह से ठप है। भागलपुर के दोनों ओर 15 किमी एनएच पर दो से तीन फीट पानी बह रहा है। आवागमन पूरी तरह ठप है। कई प्रखंडों का संपर्क जिला मुख्यालय से कटा हुआ है। बहुत जरूरी होने पर आने-जाने के लिए ये लोग नाव का उपयोग कर रहे हैं। 
भागलपुर शहरी क्षेत्र में बाढ़ के लोगों की परेशानी कम नहीं होती दिख रही है। कई लोग सगे-संबंधियों के यहां शरण लिए हुए हैं तो कई लोग छत या ऊपर की मंजिल पर रह रहे हैं। बाढ़ राहत शिविरों में प्रशासन की ओर से लोगों की मदद की जा रही है। अधिकारी लगातार शिविरों का जायजा ले रहे हैं। 
हालांकि, प्रशासनिक बाढ़ पीड़ितों के लिए नाकाफी साबित हो रही है। अररिया के पलासी प्रखंड होकर बहने वाली बकरा नदी के जलस्तर में बुधवार को तीसरे दिन भी कोई कमी नही आई। कुछ सेमी की बढ़ोतरी ही हुई है। अभी भी निचले इलाके के आधा दर्जन गांव में बकरा का पानी फैला हुआ है। वही पिछले 24 घंटे के अंदर रतवा नदी का कटाव तेज होने से एक दर्जन घर नदी में समा गए। कई घरों पर अभी भी कटाव का खतरा मंडरा रहा है।