तीनों कृषि सुधार कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद राज्य में सियासी समीकरण बदलने के संकेत

तीनों कृषि सुधार कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद राज्य में सियासी समीकरण बदलने के संकेत

 श्री गुरु नानक देव जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन कृषि सुधार कानूनों को रद करने की अंतत: घोषणा कर ही दी। कानून वापसी की इस घोषणा के बाद राज्य की राजनीति में बड़े फेरबदल और नए समीकरण बनने के आसार पैदा हुए हैं। कानून निरस्त किए जाने के उपरांत जहां अन्य राजनीतिक दल-आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल और विशेषकर भाजपा भारी राहत महसूस कर रहे हैं, वहीं सत्तासीन कांग्रेस के लिए इस फैसले ने एक विकट स्थिति पैदा कर दी है।कांग्रेस अपने हाथ से एक अहम मुद्दा छिनते देख विचलित है। दिलचस्प बात तो यह है कि कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकारों की यह चिंता किसी अन्य बात को लेकर कम, लेकिन इस बात को लेकर ज्यादा है कि आंदोलन की समाप्ति के उपरांत आने वाले दिनों में पार्टी प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के पास अपनी ही कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ मोर्चा खोलने के इतर कोई विकल्प नहीं बचेगा। चिंता वाजिब भी है, क्योंकि अपनी आदत से मजबूर सिद्धू ने हमेशा की तरह एक बार फिर लुधियाना में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में पार्टी प्रभारी हरीश चौधरी समेत मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट सदस्यों की मौजूदगी में चन्नी सरकार के फैसलों पर केवल सवाल ही नहीं उठाए हैं, बल्कि इस्तीफे की धमकी तक दे डाली है।