बिहार में शिक्षकों को बढ़े वेतन के लिए करना पड़ सकता है और इंतजार
बिहार के साढ़े तीन लाख शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों को जनवरी से फरवरी में 15 प्रतिशत बढ़े वेतनमान के साथ भुगतान किए जाने पर ग्रहण लग गया है। शिक्षा विभाग ने एनआइसी की मदद से विशेष साफ्टवेयर के माध्यम से वेतन निर्धारण की प्रक्रिया अपनाई थी, लेकिन इससे यह गड़बड़ी हुई कि एक ही शिक्षक का वेतन दो जिले से निर्धारण हो गया। किसी शिक्षक का तीन हजार वृद्धि होना था, लेकिन उसका वेतन 320 रुपये ही बढ़ा। जिस शिक्षक की नियुक्ति 2014 में हुई थी उसकी नियुक्ति 2016 में साफ्टवेयर बता रहा है।
एनआइसी के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सभी जिलों में 20 हजार से ज्यादा शिक्षकों के वेतन विसंगति और अन्य गड़बडिय़ां सामने आई हैं। संख्या और बढ़ सकती है। हालांकि शिक्षा विभाग के संबंधित अधिकारी इसे साफ्टवेयर की मामूली चूक बता रहे हैं और जल्द सुधारने का दावा कर रहे हैं।
शिक्षा विभाग के एक अफसर ने बताया कि साफ्टवेयर की गड़बड़ी की वजह से शिक्षकों के वेतन निर्धारण में त्रुटि सामने आई है, लेकिन यह पहले से सभी जिलों को निर्देश है कि साफ्टवेयर पर कोई भी शिक्षक नए वेतन निर्धारण को देख सकता है और विसंगति मिलने पर जिला शिक्षा कार्यालय में आपत्ति पत्र देकर विसंगति सुधरवा सकता है। संबंधित अधिकारी बताने को तैयार नहीं कि जब एक साल से वेतन निर्धारण के इंतजार में शिक्षकों से समय लिया गया तो उनसे अब आपत्ति लेने के लिए दफ्तरों का चक्कर क्यों लगवाने पर तूले हैं। यदि इस माह विसंगति में सुधार नहीं हुआ तो पुराने वेतनमान लेने पर ही संतोष करना पड़ेगा।
शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को अपने बढ़े वेतन निर्धारण को देखने के लिए वेबसाइट : एजुकेशन डाट बीआइएच डाट एनआइसी डाट इन उपलब्ध कराया है, लेकिन ज्यादातर शिक्षकों की शिकायत है कि साफ्टवेयर नहीं खुलता है या बमुश्किल से खुल पाता है।
ये हो केवल एक उदाहरण है
औरंगाबाद के जिलापरिषद उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक रवि रंजन कुमार का वेतन पटना जिले के शिक्षक के रूप में भी तय हुआ है। पटना की शिक्षिका विभा कुमारी का वेतन तीन हजार रुपये बढऩा था, लेकिन साफ्टवयेर की गड़बड़ी के चलते मात्र 720 रुपये बढ़ा है। इसी तरह 2007 में बहाल शिक्षक मुकेश सिंह का वेतन 27710 रुपये निर्धारित हुआ है जबकि 2014 में बहाल शिक्षक अभिषेक रंजन का वेतन 28270 रुपये तय हुआ है।