BJP में दो फाड़, जातीय जनगणना को लेकर अलग-अलग तर्क
बिहार में जातीय जनगणना पर सियासी संग्राम जारी है. इसे लेकर दलों के अंदर सियासी राग थमता नजर नहीं आ रहा है. बीजेपी के अंदर भी इस मसले पर दो सुर हैं. दरअसल, बीजेपी के अंदर पिछड़े नेता जातीय जनगणना के समर्थन में हैं तो सवर्ण नेता इसके विरोध में उतरे हुए हैं. यही वजह है कि इस मांग को लेकर बीजेपी के अंदर दो फाड़ है.यहां पार्टी का एक धरा ये कहता है कि जातीय जनगणना के स्थान पर आर्थिक रूप से पिछड़े गरीबों की गणना होनी चाहिए, तो दूसरी तरफ ये तर्क दिया जा रहा है कि जातीय जनगणना होने से सही मायने में विकास को लेकर निर्णय लेने में मदद मिलेगी. इधर, मामले को लेकर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी पहले से मांग करते आ रहे हैं. इसी क्रम में मांझी ने गुरुवार को जातीय जनगणना का विरोध करने वालों पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा, 'संविधान में समाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रवधान है, ना कि आर्थिक तौर पर पिछड़ों के लिए. नाम में टाइटल लगा अपनी जाति बताने वालों, आपको जातिगत जनगणना से डर क्यों है?'