क्या होता है ओपिनियन पोल? सपा ने इस पर रोक लगाने की मांग क्यों की?
चुनाव का समय आते ही सर्वे की भरमार सी लग जाती है। चुनाव की घोषणा के बाद होने वाले वो सर्वे जिसमें वोटरों से पूछा जाता है कि आप कौन सी पार्टी को वोट देंगे, वैसे सर्वे को ओपिनियल पोल कहते हैं। इस सर्वे में मुख्य रूप से सैंपल साइज पर ज़ोर दिया जाता है, जिसका जितना बड़ा सैंपल साइज होता है, उसके नतीजे उतने सही होने के करीब होते हैं।
समाजवादी पार्टी ने कुछ समाचार चैनलों पर प्रसारित होने वाले ऐसे ही पब्लिक ओपिनियन पोल पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग चुनाव आयोग से की है। चुनाव आयोग को लिखे पत्र में सपा ने कहा कि ओपिनियन पोल्स के प्रसारण से आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होता है और वे मतदाताओं को गुमराह भी करते हैं। पार्टी ने मांग की है कि स्वतंत्र, निष्पक्ष, निर्भीक चुनाव सम्पन्न कराने के लिए न्यूज चैनलों पर दिखाए जा रहे ओपिनियन पोल पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने सपा के इस कदम को उसकी हताशा करार दिया है।
ग़ौरतलब है कि इससे पहले बहुजन समाज पार्टी ने भी अक्तूबर 2021 में ही चुनाव आयोग को चिट्ठी लिख कर चुनाव से छह महीने पहले जनमत सर्वे पर बैन लगाने की मांग की थी। पार्टी के महासचिव और राज्य सभा सांसद सतीश चंद्र मिश्र ने बीएसपी की तरफ से आयोग से ये अपील की थी। बसपा का कहना था कि यूपी में करीब 15 करोड़ वोटर हैं, लेकिन सर्वे एजेंसियां चंद सौ लोगों की राय के आधार पर अपने आंकड़े पेश कर देती है।