भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा: शराबबंदी कानून में दूरदर्शिता की कमी
बिहार: भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा- बिहार में शराबबंदी पर कानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी रही है. इससे अदालतों में केस की संख्या काफी बढ़ गई है. ऐसा प्रतीत होता है कि विधायिका अपना सर्वोत्तम देने में सक्षम नहीं है. ये बातें CJI रमना ने विजयवाड़ा के सिद्धार्थ लॉ कॉलेज में भारतीय न्यायपालिका भविष्य की चुनौतियां पर व्याख्यान देते हुए कहा. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि यह बदला जाएगा, क्योंकि इस तरह की जांच से कानून की गुणवत्ता में सुधार होता है.
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा कानून बनाने में दूरदर्शिता की कमी के कारण अदालत सीधे बंद हो सकती हैं. उदाहरण के लिए, बिहार निषेध अधिनियम 2016 की शुरूआत के परिणामस्वरूप उच्च न्यायालय जमानत आवेदनों से भरा हुआ है. बताते चलें कि विभिन्न न्यायालयों में शराब से जुड़े लंबित मामलों की संख्या 1 लाख 80 हजार के आसपास पहुंच गई है. इस वजह से एक साधारण जमानत अर्जी के निपटारे में एक साल लग जाता है. अपने भाषण में CJI ने न्यायपालिका का भी बचाव किया कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली स्वयं को नियुक्त करने वाले न्यायाधीशों के बराबर है.